10+2 की परीक्षा देने के
बाद काका के पास समय ही समय था, तो ले आया
नेताजी सुभाष चन्द्र
बोस
पर लिखी किताबें और पढ़ना शुरू
किया, कई महिना अध्ययन करने के बावजूद रहस्य रहस्य ही रह गया, और अभी तक रहस्य ही
है.....
इतना ज़रूर समझ आया नेताजी ने देश की आज़ादी
के लिए हर तरीके को अपनाया, जहाँ से मदद मिलने की थोड़ी भी आस थी वहां वहां चक्कर
लगाया, वर्मा, अफगानिस्तान से लेकर यूरोप तक, सेना बनाया, बैंक बनाया, विश्व के कई
देश के दुश्मन भी हो गए, पर हार नहीं माने....नेताजी पर आज़ादी का जुनून सवार था.
सबसे बड़ी दुःख कि बात ये लगी कि नेताजी को
अपने ही देश के लोगों ने इग्नोर कर दिया, आज के बुद्धिजीवियों कि सोच जहाँ ख़त्म हो
जाती है, वहां से नेताजी कि सोच शुरू होती थी, बड़े ही दुःख की बात है कि इतने बड़े
स्वतंत्रता सेनानी के जीवन व मौत को सभी ने मिलकर रहस्य बना डाला है, मेरी नज़र में
नेताजी की भूमिका आज़ादी दिलाने में किसी में मायने में गांधीजी से कम नहीं था.
आखिर कुछ तो रहस्य है जो कांग्रेस सरकर से
लेकर मोदी सरकार तक बताने से कतरा रहीं है, अब तो सुप्रीम कोर्ट ने भी कंधे जुआठ
फेंक दिया....(नेताजी की फाइल से जुड़ी जनहित याचिका पर सुनवाई से सुप्रीम कोर्ट
का इनकार) अब तो सच में रहस्य से पर्दा उठता देखने कि लालसा बढती जा रही है....!!
नेताजी को जिसे जो कहना है कहे, हम दिल की
गहराइयों से इज्ज़त करतें हैं, और करते रहेंगें, नेताजी के सम्मान में आज के
राजनीतिज्ञों को कभी भी दिल नहीं करता कि नेता कहा जाये..!!
अब तो लगने लगा है कि मोटी चमड़ी वाले संघ
से लेकर कांग्रेस तक ने ही नेताजी से गद्दारी की है शायद इसलिए रहस्य से पर्दा
उठाने में हिच्चक रहें हैं....!!
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