Friday, November 12, 2010

संघी हिन्दुवत्व के साथ हिन्दू नहीं

मालेगांव से लेकर अजमेर शरीफ तक की आतंकी घटनाओ में राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के नेताओं और कार्यकर्ताओं के नाम आने व गिरफ्तार कर जेल जाने से बौखला कर  देश में धरना प्रदर्शन हुआ। उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में सरसंघ चालक श्री मोहन भागवत जी के नेतृत्व संघ के समस्त अनुवांशिक संगठनो ने धरना प्रदर्शन किया। जानकारों के अनुसार इस धरना प्रदर्शन में लगभग 500 के आसपास संघी शामिल हुए। जिससे यह साबित होता है कि संघी हिन्दुवत्व के साथ हिन्दू मतावलंबी नहीं हैं। मोहन भागवत ने केंद्र में कांग्रेसी सरकार के इशारे पर संघ के नेताओं को फर्जी फ़साने की बात कही। वहीँ श्री भागवत ने संघ का मुसलमानों से कोई बैर नहीं की बात कहकर अपनी पुरानी बगुला भगत वाली छवि को प्रदर्शित किया। श्री मोहन भागवत ने यह भी कहा संघ का हिंसा में कोई विश्वास नहीं है लेकिन जब वह यह कहते हैं तब वह विस्मृति के शिकार होते हैं। गाँधी की हत्या, सिखों का नरसंहार, मालेगांव से अजमेर शरीफ की आतंकी घटनाएं भूल जाते हैं। संघ का इतिहास रहा है कि यह अपनी स्थापना काल से ही जर्मन नाजी विचारधारा से ओत-प्रोत रहा है। अगर दूसरे मतावलम्बियों से उनका बैर नहीं है तो वह धर्म निरपेक्ष भारत को हिन्दू राष्ट्र क्यों बनाना चाहते हैं। हिन्दू राष्ट्र बनाने का अर्थ यह है कि दूसरी संस्कृतियों को मानने वाले लोगों के ऊपर अपने धर्म की सुपरियारिटी को लागू करना। बाबरी मस्जिद प्रकरण में 22-23 दिसम्बर 1949 की रात को मूर्ति रख दी गयी थी और अगर उनका दूसरे मतावलंबियों से बैर नहीं है तो बाबरी मस्जिद के अस्तित्व को माने और बाबरी मस्जिद की जगह मस्जिद बनाने दे। पुराने इतिहास के आधार पर बदला लेने की प्रवित्ति संघ की प्रवित्ति है, यही काम हिटलर ने जर्मनी में किया था और उसकी चरम प्रणत्ति लाखो लोगों की गैस चम्बरों में हत्या से हुई थी। जिस समय मस्जिद बनी होगी उस समय के शासन सत्ता के कानून के हिसाब से जायज होगी। उन सम्राटो ने मंदिरों के लिए भी जो सुविधाएं दी थी उन सुविधाओं का उपभोग उनके महंतों ने किया था और आज भी बहुत सारे मंदिरों के पास जमीनें मुस्लिम सम्राटो के द्वारा दी गयी जमीनें ही मौजूद हैं। कांग्रेस के ऊपर आरोप लगाना उचित नहीं है। हाँ, ये जरूर है के कांग्रेस के अन्दर हजारो संघी प्रष्टभूमि के नेतागण मौजूद हैं जो कांग्रेस के धर्म निरपेक्ष सवरूप को ही बदल के रख दिए हैं।

अच्छा यह होगा श्री मोहन भागवत जी देश के निरपेक्ष स्वरूप को बनाये व बचाए रखने के लिए आप संघ के पदाधिकारियों को निर्देश दें कि वह आतंकी घटनाओ में हिस्सा लेना छोड़ कर इस देश को बहुभाषीय, बहुजातीय, बहुधार्मिक देश के रूप में विकसित होने दें। जिससे यह देश एक बगिया की तरह विकसित हो जिसमें तरह-तरह के फूल हों और तरह-तरह की खुशबू हो। एक माली की तरह हम और आप इस देश को एक चमन की तरह विकसित करें।






लो क सं घ र्ष !

2 comments:

  1. jnaab hindu kbhi aatnkvaadi nhin hota kyonki hindu to sbhi dhrm ke log khe jaate hen yeh naam svdeshi vaalon se agr punchen to saaf nzr aayegaa ke angrezon ne sindhu ndi ke kinare pr rhne valon ko diya thaa jise sbhi svdeshi kaa naara dene vaale grv se apni zubana pr rkhte hen haaan snaatn dhrm he jo aadrniy he . akhtar khan akela kota rajsthan

    ReplyDelete
  2. @ Akhtar bhai, aapne bilkul sahi kaha.

    ReplyDelete