2002 में हुए गुजरात दंगे और 2007 के समझौता एक्सप्रेस बम धमाके के तार जुड़ते नज़र आ रहे हैं। सूत्रों के हवाले से मीडिया में आ रही खबरों के मुताबिक समझौता ब्लास्ट केस की जांच कर रही राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) के जांचकर्ताओं को शक है कि जिन लोगों ने समझौता बम धमाके की साजिश रची और उसे अंजाम दिया उनकी गुजरात दंगों में भी भूमिका हो सकती है। एनआईए की जांच में यह बात भी सामने आई है कि गुजरात दंगे में शामिल होने का शक जिन लोगों पर है उन्हें राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के पूर्व प्रचारक सुनील जोशी ने अपने घर में पनाह दी थी। गौरतलब है कि पहली बार गुजरात दंगे के तार संघ से सीधे तौर पर जुड़े होने की बात कही जा रही है। एनआईए की गुजरात के वड़ोदरा शहर के एक ही परिवार के तीन सदस्यों रमेश, जयंती और महेश गोहिल पर खास नज़र है। इन पर समझौता ब्लास्ट की साजिश में शामिल होने का आरोप है। संघ के प्रचारक रहे सुनील जोशी ने इन सबको अपने घर में पनाह दी थी। गौरतलब है कि 18 फरवरी, 2007 की रात दिल्ली से करीब 80 किलोमीटर दूर हरियाणा के पानीपत जिले में दीवाना रेलवे स्टेशन के नजदीक समझौता एक्सप्रेस में बम ब्लास्ट हुआ था। इसमें करीब 68 लोग मारे गए थे जिसमें ज़्यादातर पाकिस्तानी थे।
खबरों में कहा जा रहा है कि एनआईए को गुजरात दंगे और समझौता एक्सप्रेस ब्लास्ट के तार जुड़ते तब दिखे जब यह साफ हो गया कि रमेश, जयंती और महेश के अलावा अजमेर शरीफ ब्लास्ट केस के आरोपी हर्षद सोलंकी ने राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (आरएसएस) के प्रचारक रहे सुनील जोशी के मध्य प्रदेश के देवास जिले में मौजूद घर में पनाह ली थी। ये चारों सुनील जोशी की हत्या से पहले दिसंबर, 2007 तक जोशी के घर पर रुके थे। खबरों के मुताबकि समझौता ब्लास्ट के मुख्य आरोपी स्वामी असीमानंद ने पूछताछ में यह माना है कि जोशी और उनके ग्रुप ने समझौता ब्लास्ट की साजिश रचने और अंजाम देने का काम किया था। एनआईए की जांच में यह बात भी सामने आ रही है कि रमेश, जयंती, महेश और हर्षद सोलंकी ने 2004 में तब गुजरात छोड़ दिया था जब सुप्रीम कोर्ट ने बेस्ट बेकरी केस को दोबारा खोलने का आदेश दिया था। सुप्रीम कोर्ट ने फास्ट ट्रैक कोर्ट के फैसले के बाद यह आदेश दिया था। फास्ट ट्रैक कोर्ट ने गुजरात दंगे के 21 आरोपियों को छोड़ने के आदेश दिए थे। गौरतलब है कि 2002 में गुजरात दंगों के दौरान वड़ोदरा में भीड़ ने बेस्ट बेकरी को जला दिया था, जिसमें 14 लोग मारे गए थे। 'जोशी की हत्या के बाद रात में उनके घर गईं थीं प्रज्ञा' मालेगांव धमाकों की आरोपी प्रज्ञा सिंह ठाकुर ने आरएसएस के पूर्व प्रचारक सुनील जोशी के घर उनकी हत्या के बाद रात में पहुंची थीं। प्रज्ञा ने जोशी के घर से उस रात एक अटैची भी अपने कब्जे में ले ली थी। सुनील जोशी की भतीजी के हवाले से मीडिया में आई खबरों में यह दावा किया गया है। सुनील जोशी की 19 साल की भतीजी चंचल जोशी ने यह खुलासा किया है। चंचल का कहना है कि जिस दिन सुनील जोशी की हत्या हुई प्रज्ञा उनके घर आईं थीं। चंचल के मुताबिक प्रज्ञा ने तब उनके परिवार को यह नहीं बताया था कि सुनील जोशी की हत्या हो चुकी है और वह एक अटैची लेकर चली गईं। चंचल का कहना है कि उन्हें यह नहीं पता कि उस अटैची क्या था। गौरतलब है कि मालेगांव और मक्का मस्जिद धमाके के आरोपी सुनील जोशी की 29 दिसंबर, 2007 को हत्या कर दी गई थी। चंचल का यह भी कहना है कि प्रज्ञा उनके घर अक्सर आती थीं.
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