Thursday, January 20, 2011

असीमानंद से स्वामी असीमानंद तक की यात्रा का एक पड़ाव

असीमानंद से स्वामी असीमानंद तक की यात्रा का एक पड़ाव ;
श्रीराम तिवारी
श्रीराम तिवारी जनवादी कवि और साहित्यकार हैं, जनता के सवालों पर धारदार लेखन करते हैं.
विगत दिनों जब राजस्थान एस टी ऍफ़ और सी बी आइ ने मालेगांव बलोस्ट ,अजमेर बलोस्ट ,मक्का मसजिद और समझौता एक्सप्रेस के कथित आरोपियों के खिलाफ वांछित सबूतों को  अपने -अपने ट्रेक  पर तेजी से तलाशना शुरूं किया और तत पश्चात संघ से जुड़े कुछ कार्यकर्ताओं के नाम; वातावरण में प्रतिध्वनित होने लगे ;तो संघ परिवार -भाजपा ,वी एच पी ,तथा शिवसेना ने इसे हिंदुत्व के खिलाफ साजिश करार दिया था .उनके पक्ष का मीडिया और संत समाजों की कतारों से भी ऐसी ही आक्रामक प्रतिक्रिया निरंतर आती रही हैं ;;जब  इस साम्प्रदायिक हिंसात्मक नर संहार के एक अहम सूत्रधार{असीमानंद }ने  अपनी स्वीकारोक्ति न्यायिक मजिस्ट्रेट के समक्ष दी तो एक बारगी मेरे मन में भी यह प्रश्न उठा कि यह स्वीकारोक्ति बेजा दवाव में ही सम्पन्न हुई है ….
उधर देश और दुनिया कि वाम जनतांत्रिक कतारों ने समवेत स्वर में जो -जो आरोप ,जिन -जिन पर लगाए थे वे सभी आज सच सावित हो रहे हैं .आज देश के तमाम सहिष्णु हिन्दू जनों  का सर झुका हुआ है ;मात्र उन वेशर्मों को छोड़कर जो प्रतिहिंसात्म्कता की दावाग्नि में अपने विवेक और शील को स्वःहा  कर चुके हैं .उन्हें तो ये एहसास भी नहीं कि -दोनों दीन से गए …..जिन मुस्लिम कट्टरपंथियों को सारा  संसार और समस्त प्रगतिशील अमन पसंद मुसलिम  जगत नापसंद कर्ता था ;वे अब सहानुभूति के पात्र हो रहे हैं ,और जिन सहिष्णु हिन्दुओं ने “अहिंसा परमोधर्मः “या मानस कि जात सब एकु पह्चान्वो ….या सर्वे भवन्तु सुखिनः कहा वे बमुश्किल आधा दर्जन दिग्भ्रमित कट्टर हिंदुत्व वादियों कि नालायकी से सारे सभ्य संसार के सामने शर्मिंदा हैं .
यत्र -तत्र धमाकों और हिन्दू युवक युवतियों के मस्तिष्क को प्रदूषित करते रहने वाले असीमानंद {स्वामी?}महाराज यदि इस तरह सच का सामना करेंगे तो शंका होना स्वाभाविक है ;खास तौर पर जब कि पुलिस अभी ऐसी कोई विधा का अनुसन्धान नहीं कर सकी कि पाकिस्तानी आतंकवादी कसाब से सर्व विदित सच ही कबूल कर सके .
सी बी आई कि भी सीमायें हैं ;आयुषी तलवार के हत्यारे चिन्हित नहीं कर पाने के कारण या अप्रकट कारणों से अन्य अनेक प्रकरणों कि विवेचना में राजनेतिक दवाव परिलक्षित हुआ पाया गया.अब असीमानंद कीस्वीकारोक्ति के पीछे कोई थर्ड डिग्री टार्चर या प्रलोभन की गुंजायश नहीं बची .
यह बिलकुल शीशे की तरह पारदर्शी हो चुका है कि पुलिस के हथ्थ्ये चढ़ने और हैदरावाद जेल में असीमानंद को एक निर्दोष मुस्लिम कैदी के संपर्क में आने से सच बोलने की प्रेरणा मिली. किशोर वय कैदी कलीम खान ने असीमानंद को इल्हाम से रूबरू कराया .यह स्मरणीय है कि कलीम को पुलिस ने उन्ही कांडों कि आशंका के आधार पर पकड़ा था जो स्वयम असीमानंद ने पूरे किये थे .हालाकिं कलीम निर्द्सोश था और उसकी जिन्दगी लगभग तबाह हो चुकी है.असीमनद को जेल में गरम पानी लाकर सेवा करने वाले लडके से जेल में आने कि वजह पूंछी तो पता चला कि मालेगांव बलोस्ट ,अजमेर शरीफ बलोस्ट मक्का मस्जिद और समझोता एक्सप्रेश को अंजाम देने वाले असीमानान्दों कि कलि करतूतों कि सजा वे लोग भुगत रहे हैं जो धरम से मुस्लिम हैं बाकी उनका कसूर भी इतना ही था कि वे इस्लाम को मानने वालों के घरों में पैदा हुए .
कलिंग युद्द उपरान्त लाशों के ढेर देखकर जो इल्हाम अशोक को हुआ था वही वेदना जेलों में बंद सेकड़ों बेकसूरों को .निर्दोष कलीमों को देखकर असीमानंद को हुई और अब वे वास्तव में अपने अपराधों के लिए कोई भी कुर्वानी या सजा स्वीकारने का मन बना चुके हैं .शायद अब उन्हें स्वामी असीमानंद कहे जाने पर मेरे मन में कोई संकोच न रहेगा .हिन्दुओं को बरगलाने वाले .साम्प्रदायिकता को सत्ता कि सीढ़ीवनाने वाले हतप्रभ न हों .ये तो भारतीय जन -गण के परिश्कर्ण कि सनातन प्रक्रिया है ,जिसमें -दया ,क्षमा ,अहिंसा करुना और सहिष्णुता  को हर बार कसौटी पर कसे जाने और चमकदार होते रहने का मूल मन्त्र विद्द्य्मान रहता है ..यही भारत की आत्मा है .ASEEMANAND SE SWAMI ASEEMANAND  BANWANE MEN YHI KARAK BHI HAI .
इसे कोई भी नहीं मार सकता …..मुस्लिम आतंकवाद या भगवा आतंवाद ….कोई भी भारत के देवीय  चरित्र को नस्त नहीं कर सकता ….

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