जुगनू शारदेय
बहुत बहस हो रही है काला धन पर । अजी धन धन होता है । न काला होता है , न सफेद । कहा भी गया है कि बाप बड़ा न भइया , सबसे बड़ा रुपइया । लोग एक दम से भूल गए पुराने जमाने के एक्टर महमुद का गाना , हमीं काले हैं तो क्या हुआ दिल वाले हैं । यहां लोग चिल्ला रहे हैं कि देश का काला धन विदेश में जमा है । और कहां रखते । देश में रखने की जगह होती , तब न रखते । हर आदमी अपने बुरे दिन का ख्याल रखता है । यही सोच कर लोगों ने अपना काला धन विदेश में रखा । उसका फायदा भी नजर आ रहा है ।
फायदा काला धन विदेश में रखने वालों का और नुकसान अपने धनमन का । कोई गुनाह नहीं उनका । फिर भी फटकारता है हमारा सुप्रीम कोर्ट उन्हें कि नाम बताओ । वह कहते हैं कि विदेश की शर्त है कि नाम न किसी को बताओ । यह भी न बताओ कि माल कहां से आया । जाहिर है भारत का माल इंडिया में आया । इंडिया से विदेश के बैंक में चला गया । और कहां जाता ।
हमें तो गौरवान्वित होना चाहिए कि हमारे देश में इतना माल है कि अपने देश में रखने की जगह ही नहीं है । हमारे पास इससे बचने का सुझाव भी है । मुश्किल यह है कि हमारे देश में सुझाव देने पर भी सेवा कर देना पड़ता है । चलो इसी लिए नहीं देता सुझाव । पर मन देश प्रेम से उमड़ा हुआ है कि देश
के लिए इतना सुझाव भी नहीं दे सकते ।
ऐसा कैसे हो सकता है । देश भले ही मुझे सुझाव रत्न से सम्मानित न करे । मगर काला धन विदेश न जाए, इसे रोकने पर सुझाव दे कर ही रहूंगा । यह भी कोई तरीका है कि सुप्रीम कोर्ट का व्यस्त समय इस फालतू चीज काला धन पर बरबाद किया जाए । इसलिए यह सुझाव बहुत जरूरी है । क्या पता इसी सुझाव से मेरे पास भी सरकार की नजर में कुछ काला धन आ जाए ।
सुझाव नंबर एक यह है कि धन को सिर्फ धन माना जाए । यह एक गलत परंपरा बनी है कि यह चोरी का माल है , यह घूस का माल है , यह ठेकेदारी का माल है आदि आदि । कोई साबित कर दे कि जो ईमानदारी का धन है उससे आलू – प्याज सस्ती मिल जाती है । आलू – प्याज का एक ही भाव होता है । देश तरक्की कर रहा है , इसलिए भाव की भी तरक्की भी हो रही है ।
बस यही समझिए कि देश में ज्यादा धन होगा तो विदेश में जाएगा ही क्योंकि उनकी गारंटी होती गोपनीयता की । हमारे देश के सरकारी कागजों की तरह नहीं कि अखबार में छपने वाले विज्ञापन के ऑर्डर पर गोपनीय लिखा होता है । हमें सचमुच मे गोपनीय होना होगा । आज की तरह नहीं कि सबको पता होता है कि आदेश किसी का और अमल किसी का होता है ।
बड़े बुजुर्गों ने साफ साफ कहा है कि धन को छिपा कर रखना चाहिए । अपनी मेहनत की कमाई को छिपाने के लिए अपना धन लोग विदेश में रखते हैं । इसलिए सुझाव है कि अपने देश में भी ऐसे बैंक खोले जाएं जो बैंक में जमा धन की जानकारी किसी को भी न दें । जैसे बिहार में जो बैंक हैं , वह बैंक में जमा बिहार का धन बिहार के लोगों को कर्ज के तौर पर नहीं देते ।बस इसे आजमा कर देखिए और काला सफेद पर मनभेद बंद कीजिए । हमेशा याद रखिए कि धन धन होता है । यह सब कुछ हो सकता है काला नहीं हो सकता । और अगर काला है तो याद कीजिए महमुद का गाना हमीं काले हैं तो क्या हुआ दिल वाले हैं ।
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