Friday, February 18, 2011

मीडिया और मुसलमान

पिछले दिनों एनडीटीवी पर उमाशंकर सिंह की एक खास रिपोर्ट इस्लाम के नाम पर पेश की गयी। प्रोग्राम देखने के बाद दिल से एनडीटीवी और उमाशंकर सिंह दोनों के लिए दुआ निकली। दिल से दुआ निकलने की वजह यह नहीं थी कि मैं एक मुसलमान हूँ और मैंने यह रिपोर्ट इसलिए पसंद की क्‍योंकि इसमें मुसलमानों की सही तस्वीर पेश की गयी थी। रिपोर्ट पसंद आने की वजह यह थी कि इसमें पुलिस ज़ुल्म के शिकार हुये मुसलमानों की सच्ची और ईमानदार तस्वीर पेश की गयी थी, जिसकी उम्मीद आमतौर पर भारतीय मीडिया से नहीं की जाती। अगर सच कहूँ तो ऐसी हिम्मत उमा शंकर सिंह या एनडीटीवी जैसा चैनल ही कर सकता है। इस रिपोर्ट में बताया गया कि कैसे मक्का मस्जिद धमाके के बाद बेक़सूर मुसलमानों को गिरफ्तार किया गया और उन पर कैसे-कैसे ज़ुल्म ढाये गए।
मीडिया और मुसलमान
आमतौर मुसलमाओं में यह सोच पाई जाती है और यह सही भी है कि मीडिया में उनकी सही तस्वीर पेश नहीं की जाती। ऐसे में कोई अख़बार, कोई चैनल या कोई पत्रकार यदि सच का दामन हाथ से नहीं छोड़े तो उसे सलाम करना ज़रूरी हो जाता है। कौन नहीं जानता कि देश में होने वाले हर धमाके के बाद पुलिस पहला निशाना मुसलमानों को ही बनाती है, कौन नहीं जानता कि आज देश की जेलों कई मुसलमान ऐसे बंद हैं, जिनका कोई कसूर नहीं है और पुलिस ने उन्हें जानबूझ कर साजिश के तहत फंसाया हुआ है। मगर कितने अखबार या चैनल या पत्रकार हैं, जो इसकी तह में जाने की कोशिश करते हैं और यह साबित करते हैं कि मुसलमानों की जो गिरफ्तारी हुई थी वो ग़लत थी और फलां धमाके में किसी मुसलमान का नहीं बल्कि दूसरे धर्म के लोगों का हाथ था। हर कोई जानता है की देश में जब भी कोई धमाका होता है, इधर-उधर से मुसलमानों की गिरफ्तारी शुरू हो जाती है। मगर बाद में धीरे-धीरे पता चलता है कि इन धमाकों के पीछे असीमानन्द जैसे लोगों का हाथ था। हर चैनल और हर अखबार मुस्लिम नौजवान को आतंकवादी बताता रहता है, मगर जब वो बाइज्जत बरी हो जाते हैं तो कभी कोई यह नहीं कहता कि मैंने ग़लती से बिना सबूत के आपको आतंकवादी बता दिया था।
याद कीजिये टेलीविज़न की दुनिया के जाने-माने पत्रकार पुण्य प्रसून वाजपेयी के उस बयान को। एक बार उन्होंने स्वर्गीय इशरत जहाँ से यह कहते हुए माफ़ी मांगी थी कि हमने इशरत से सम्बंधित उसकी हत्या के समय जो ख़बर चलायी थी, वो ग़लत थी और अब मुझे अफसोस हो रहा है कि मैंने उसे आतंकवादी बताया था। देर से ही सही मगर वाजपेयी ने अपनी ग़लती मानकर जो बड़प्पन दिखाया उसकी जितनी भी तारीफ की जाई कम है। क्‍या हमारे दूसरे पत्रकार बंधुओं को कभी इस बात का अहसास होता है, जो बिना किसी सबूत के सिर्फ पुलिस की बात मान कर अक्सर मुसलमानों को आतंकवादी साबित करने पर तुले रहते हैं। आज सच्चाई यह है कि देश में ज्यादातर पत्रकार बेईमान हैं। दूसरी ख़बरों के साथ तो वो बेईमानी करते ही हैं, मुसलमानों से सम्बंधित ख़बरों में तो खासकर बेईमानी से काम लिया जाता है। अपने प्‍यारे देश भारत में जब भी कोई धमाका होता है बिना किसी जाँच के तुरंत यह ख़बर चला दी जाती है कि इसके लिए मुसलमान जिम्मेदार हैं। कोई यह जानने की कोशिश नहीं करता कि पहले सच जान लें फिर खबर चलायी जाए। आज पत्रकार बड़ी बेशर्मी से सिर्फ़ पुलिस और दूसरी एजेंसियों की बात मान कर झूठ को सच साबित करने में लगे रहते हैं। जहाँ तक फर्जी एनकाउंटर का सवाल है, तो यह बात अब साबित हो चुकी है कि भारत में अधिकतर एनकाउंटर फर्जी होते हैं। एनकाउंटर में यदि कोई मुसलमान मारा जाए तब तो ऐसे एनकाउंटर पर और भी शक होता है।
इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता कि धमाकों में मुसलामानों का भी हाथ हो सकता है, मगर हर धमाके के बाद बिना किसी सबूत के मुसलामानों को बदनाम कर देना उचित नहीं है। इस बात का एहसास पत्रकार बंधुओं को भी होना चाहिए। यदि उमा शंकर सिंह और पुण्य प्रसून वाजपेयी जैसी सोच हर पत्रकार की हो जाए तो फिर इस देश में कोई भी बेगुनाह मारा नहीं जाएगा और अगर मारा भी गया तो सच्चाई सामने आएगी और उसके कातिलों को सज़ा ज़रूर मिलेगी।


ए एन शिबली, लेखक हिन्दुस्तान एक्सप्रेस के ब्यूरो चीफ हैं.
ए एन शिबली, लेखक हिन्दुस्तान एक्सप्रेस के ब्यूरो चीफ हैं.
समझने वाली बात यह है कि आतंकवादी हिन्दू या मुसलमान नहीं होता। कोई भी सच्चा धार्मिक व्‍यक्ति देशद्रोही नहीं हो सकता और बेगुनाह की जान नहीं ले सकता। इस्लाम में तो कहा गया है कि यदि कोई किसी एक बेक़सूर की जान लेता है तो इसका मतलब यह है कि उसने पूरी मानवता की हत्या की। इसका मतलब यह हुआ कि एक सच्‍चा और नेक मुसलमान कभी किसी बेक़सूर की जान नहीं ले सकता और यदि वो ऐसा करता है तो नाम का मुसलमान तो हो सकता है, सच्चा मुसलमान नहीं हो सकता। ऐसे लोग सिर्फ और सिर्फ आतंकवादी होते हैं नाम उनका चाहे कुछ भी हो।                                                    http://hastakshep.com/?p=3202

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