भोपाल। प्रदेश में किसानों की मौत का मुद्दा मंगलवार को विधानसभा में छाया रहा। सरकार ने 348 किसानों की मौत का जो रहस्य बताया है, वह चौंकाने वाला है। सरकार ने मरने वाले किसानों में से 65 को शराबी और 35 को पागल करार दिया है। प्रश्नकाल में यह जानकारी चौधरी राकेश सिंह के प्रश्न के उत्तर में गृह मंत्री उमाशंकर गुप्ता ने दी।
जवाब से उठे सवाल
सरकार ने मृत्यु के जो कारण गिनाए हैं, वे कई प्रश्न पैदा कर रहे हैं। क्या भला शराब के नशे का आदी किसान अपनी जान दे सकता है या मरने वाले किसानों में 10 फीसदी मानसिक रूप से विक्षिप्त हो सकते हैं? अजय कुमार की नौकरी नहीं लगी, तो उसने इहलीला समाप्त कर ली। पत्नी वियोग, प्रेम प्रसंग और परिजनों की मृत्यु भी सरकार की पड़ताल में किसानों की मृत्यु के कारणों के रूप में उभरी हैं। ढोलन की मौत मामूली पेटदर्द था। ऎसे किसानों की संख्या एक दर्जन है।
कर्ज पर जानकारी हफ्ते भर में
चौधरी राकेश सिंह ने इस बारे में प्रश्न पूछा था कि मरने वाले किसानों पर राष्ट्रीयकृत बैंक, सहकारी बैंक एवं निजी साहूकारों का कितना कर्जा था। इसके उत्तर में गृहमंत्री ने कहा कि यह प्रश्न तीन विभागों से संबद्ध है। इसका जवाब सत्र के दौरान उलब्ध करा दिया जाएगा।
इस पर चौधरी ने आपत्ति जताई कि सत्र शुरू होने से 21 दिन पहले प्रश्न लगाने के बावजूद उत्तर आता है कि जानकारी एकत्र की जा रही है, जबकि इसमें कुछ रिकार्ड तो ऎसा था कि वल्लभ भवन में ही दूसरे कमरे से आना था। इस पर गृह मंत्री ने कहा कि उत्तर में आत्महत्या के कारण दिए गए हैं। उसमें कहीं भी मौत का कारण भूख नहीं है। मामला तूल पकड़ते देख अध्यक्ष ईश्वरदास रोहाणी के निर्देश पर गृह मंत्री ने सदन को आश्वस्त किया कि वह एक सप्ताह में जानकारी मुहैया करा देंगे।
शादी न होना भी वजह
गृहमंत्री की ओर से दी गई जानकारी के अनुसार भोपाल जिले के अरविंद गौर (18), बुरहानपुर के घनश्याम पुरा निवासी धर्मा (20), इंद्रपाल व परसराम की मौत की वजह शादी नहीं होना था। शाहनगर के किसान राकेश को तो साले की शादी न होने का गम ले डूबा।
कर्ज से बस दो मरे
सरकार ने मृतक किसानों में सागर जिले के थाना देवरी के त्रिलोकी और पटेरा के नन्हे भाई की मौत का कारण कर्ज माना है। दमोह में तेजगढ़ के नंदकिशोर व कुलुआ के नंदराम की मौत फसल खराब होने के कारण हुई।
अजीब से कारण भी
सरकार के अनुसार मरने वालों में ऎसे किसान भी हैं, जो नपुंसक थे। इसलिए उन्होंने मौत को गले लगा लिया। इनमें झाबुआ के इटावा के बालू किसान का उदाहरण दिया गया है। 5 एकड़ जमीन के सीमान्त कृषक दौलत सिंह ने पढ़ाई में मन न लगने के कारण जहर खा लिया। हाकम सिंह गुर्जर परिवार में बैलगाड़ी के बंटवारे से असंतुष्ट था। हल्के राम को पत्नी शराब पीने के लिए पैसा नहीं देती थी.
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