इटावा. तांत्रिको की करतूत के चलते इटावा मे एक मासूम लडकी की बलि दे दी गई है। बलरई इलाके के कोकावली गांव में घर से बेर खाने निकली पांच वर्षीय बालिका की लाश खंडहर पड़े मकान के कोठे मे मिली। बच्ची एक दिन पहले सोमवार से लापता थी। ग्रामीणो मे घटना के पीछे गांव मे तंत्र-मंत्र की चर्चाएं भी शुरू हो गयीं हैं। पुलिस का कहना है कि पोस्टमार्टम रिपोर्ट आने के बाद ही मौत की असली वजह पता चल सकेगी।
जानकारी के मुताबिक बरालोकपुर बसरेहर इलाके के प्रकाश चंद्र कठेरिया की बेटी रेशमा कोकावली में अपने मामा दिनेश कठेरिया के यहां रहती थी। पांच वर्ष पूर्व जब उसकी मां मर गयी थी, तब उसको लालन-पालन के लिए यहां लाया गया था।
सोमवार दोपहर 12 बजे वह घर से अकेली खेलने निकली थी और दोपहर तक घर नहीं लौटी तो उसकी तलाश शुरू की गयी। मामा आसपास के गांवो में रात भर तलाशता रहा। आज सबेरे से भी तलाश जारी थी। खंडहर पड़े मकान के पास बेर खाने गांव का दस वर्षीय सुनील जाटव गया और बेर के पेड़ से बेर तोड़कर खंडहर मकान की छत से कोठे में आया तो लाश देखकर पहले चीख पड़ा फिर गांव में खबर दी, इस पर लोग दौड़ पड़े तो खंडहर मकान के आंगन के दक्षिण में खुले पड़े कोठे के पूर्वी कोने में रेशमा की लाश मैले कुचौले कपड़ों से ढकी पड़ी थी।
लाश पर बायीं आंख के ऊपर चोट का निशान ऐसा था, जैसे कोई धारदार वस्तु घुसेड़ी गयी हो। पेट फूला था जिस पर लकीरों के निशान त्वचा पर लंबे लंबे बन गये थे। पेट पर हथियार के निशान न थे।
गौरतलब बात यह थी कि लाश के खंडहर के ईट रोड़ो के पास कुछ बेर पड़े होने के साथ, कुछ पुरानी चूड़ियां पड़ी थीं, साथ ही एक थैली में टूटी हुयी सीप तथा पत्थर के गुट्टे थे। आंख पर लगी चोट पर से कोई खून नही बहा था। पेट के निशानो पर गुलाबी रंग था।
मौके पर क्षेत्राधिकारी संजय राय तथा प्रभारी थाना इंचार्ज बलरई रोशन लाल पहुंचे। लापता बालिका का शव मिलने से नाराज ग्रामीण एसएसपी डीएम के आने की मांग पर अड़ गये। क्षेत्राधिकारी जसवंतनगर संजय राय ने बताया कि पोस्टमार्टम से मौत का कारण साफ होगा। लाश जिस खंडहर मकान में मिली, वह मकान एक शिक्षक का है, जो इटावा रहते हैं। खंडहर मकान के पास दलितों जाटव और कठेरिया की आबादी है तथा वहां से रेशमा के मामा का घर लगभग 400 मीटर दूर है।
जानकारी के मुताबिक बरालोकपुर बसरेहर इलाके के प्रकाश चंद्र कठेरिया की बेटी रेशमा कोकावली में अपने मामा दिनेश कठेरिया के यहां रहती थी। पांच वर्ष पूर्व जब उसकी मां मर गयी थी, तब उसको लालन-पालन के लिए यहां लाया गया था।
सोमवार दोपहर 12 बजे वह घर से अकेली खेलने निकली थी और दोपहर तक घर नहीं लौटी तो उसकी तलाश शुरू की गयी। मामा आसपास के गांवो में रात भर तलाशता रहा। आज सबेरे से भी तलाश जारी थी। खंडहर पड़े मकान के पास बेर खाने गांव का दस वर्षीय सुनील जाटव गया और बेर के पेड़ से बेर तोड़कर खंडहर मकान की छत से कोठे में आया तो लाश देखकर पहले चीख पड़ा फिर गांव में खबर दी, इस पर लोग दौड़ पड़े तो खंडहर मकान के आंगन के दक्षिण में खुले पड़े कोठे के पूर्वी कोने में रेशमा की लाश मैले कुचौले कपड़ों से ढकी पड़ी थी।
लाश पर बायीं आंख के ऊपर चोट का निशान ऐसा था, जैसे कोई धारदार वस्तु घुसेड़ी गयी हो। पेट फूला था जिस पर लकीरों के निशान त्वचा पर लंबे लंबे बन गये थे। पेट पर हथियार के निशान न थे।
गौरतलब बात यह थी कि लाश के खंडहर के ईट रोड़ो के पास कुछ बेर पड़े होने के साथ, कुछ पुरानी चूड़ियां पड़ी थीं, साथ ही एक थैली में टूटी हुयी सीप तथा पत्थर के गुट्टे थे। आंख पर लगी चोट पर से कोई खून नही बहा था। पेट के निशानो पर गुलाबी रंग था।
मौके पर क्षेत्राधिकारी संजय राय तथा प्रभारी थाना इंचार्ज बलरई रोशन लाल पहुंचे। लापता बालिका का शव मिलने से नाराज ग्रामीण एसएसपी डीएम के आने की मांग पर अड़ गये। क्षेत्राधिकारी जसवंतनगर संजय राय ने बताया कि पोस्टमार्टम से मौत का कारण साफ होगा। लाश जिस खंडहर मकान में मिली, वह मकान एक शिक्षक का है, जो इटावा रहते हैं। खंडहर मकान के पास दलितों जाटव और कठेरिया की आबादी है तथा वहां से रेशमा के मामा का घर लगभग 400 मीटर दूर है।
गांव में चर्चा है कि बालिका के शव के पास मिली चूड़ियों व चोट में खून न बहने को लेकर तांत्रिक की करतूत तो नहीं। ग्रामीणों के मुताबिक गांव मे भगत तो हैं, मगर पास के गांव अंडावली में एक तांत्रिक रहता है। घटना स्थल पर पूरे गांव की भीड़ जुटी थी तथा तंत्रमंत्र क्रिया पर चर्चा जोर पकड़े हुयी थी। रेशमा का पिता मौके पर पहुंच गया जबकि बालिका की नानी 70 वर्षीय सरवती का कहना है कि उसका किसी से न तो कोई विवाद था और न ही किसी से दुश्मनी।
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