Monday, April 25, 2011

...और अब हर्षमंदर के अनुवादक भी गायब


सुरक्षा बल के जवानों के अत्याचार से पीड़ित गांवों के हालात का जायजा  लेकर खाद्य सुरक्षा सलाहकार  हर्ष मंदर को आये अभी महीने दिन भी नहीं बीते थे कि  फिर एक बार उस क्षेत्र में आदिवासियों पर नए सिरे से जुल्म ढाए जाने का मामला उजागर हुआ है.

गाँधीवादी चिन्तक और मानवाधिकार कार्यकर्ता हिमांशु कुमार के अनुसार 'सरकार की ओर से भेजी गयी राहत सामग्री को जहाँ सुरक्षा बलों ने लूट लिया है, वहीं हर्ष मंदर के दौरे के दौरान उनकी  सुविधा के लिए पीड़ितों की बातचीत का गोंडी भाषा से हिंदी में अनुवाद करने वाले दो लोग 6  अप्रैल के बाद से ही लापता हैं .इन दोनों का नाम नूपा मुत्ता और माडवी सुल्ला है.

स्थानीय लोगों के मुताबिक लापता लोगों को सुरक्षा बल इसलिए उठा ले गए हैं क्योंकि उन्होंने हर्ष मंदर को यहाँ के हालात समझने में मदद की थी. साथ ही 11 से 16 मार्च के बीच सुरक्षा बलों के जवानों ने तीन महिलाओं के साथ नहीं, बल्कि 5 के साथ बलात्कार किया था.जिसमे तीन ताड्मेतला और दो मोरपल्ली गावों से हैं.' हिमांशु कुमार को यह जानकारी दंतेवाडा से आज ही लौटे उनके एक साथी ने दी.

मोरपल्ली गाँव में बलात्कार पीड़ित महिला  
 गौरतलब  है कि दंतेवाडा के चिंतलनार इलाके में सुरक्षा बलों के जवानों और सलवा जुडूम के हथियार बंद लोगों ने 11 से 16  मार्च के बीच ताड़मेटला, मोरपल्ली  और  तिम्मापुरम गाँव में हत्या,बलात्कार और आगजनी की थी.  जिसके बाद वहां राहत सामग्री ले जाने का पहला प्रयास सामाजिक कार्यकर्त्ता स्वामी अग्निवेश ने किया, मगर वह असफल रहे. कारण कि राहत सामग्री ले जा रही अग्निवेश की टीम पर पुलिस के इशारे पर सलवा जुडूम के लोगों ने हमला किया था. अबकी बार हर्ष मंदर जाने में इसलिए सफल रहे क्योंकि उनकी सुरक्षा में करीब तीन हजार सुरक्षाकर्मी लगे रहे और उन्होंने  पीड़ित गाँव के दर्शन हवाई मार्ग से किये.  

उसके बाद इस मामले में सर्वोच्च न्यायालय में एक याचिका दाखिल की गयी, जिसके बाद न्यायालय ने सरकार को निर्देश दिया और बतौर कमिश्नर हर्ष मंदर को दंतेवाडा भेजा गया. हर्ष मंदर ने वहां से लौटकर सौंपी गयी रिपोर्ट में बताया था कि उन गावों में भूख से मरने जैसे  हालात हैं, जिसके बाद राज्य सरकार ने उन क्षेत्रों में राहत सामग्री भेजी थी. उसी राहत सामग्री को सुरक्षा बलों ने लूट लिया है और हर्ष मंदर के सामने जुबान खोलने वालों पर हमले और गाँव में दुबारा लूटपाट शुरू हो गयी है.

हिमांशु कुमार के मुताबिक 'आज हमारे एक साथी ने इन गाँवों से लौटकर बताया है कि घटना में तीन आदिवासी महिलाओं के साथ नहीं, बल्कि पांच महिलाओं के साथ सुरक्षा बलों द्वारा बलात्कार किया गया है.' दंतेवाडा जिले के मोरपल्ली.,ताड्मेताला और तिम्मापुरम गाँवों के करीब 300घरों को सलवा जुडूम के एसपीओ और सीआरपीएफ़ ने   मार्च  में  जला दिया  था. 

छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री   रमन सिंह द्वारा दो अप्रैल को ताड्मेतला गाँव में नाममात्र की राहत सामग्री दी गयी, परन्तु उनके हेलीकोप्टर के वापस उडान भरते ही सुरक्षा बलों ने आदिवासियों को राहत में मिली हुई साड़ियाँ फाड़ दी और उसमे से काफी राहत सामग्री को लूट लिया.

इसी तरह सर्वोच्च न्यायालय के निर्देश पर खाद्य सुरक्षा सलाहकार हर्षमंदर ने 6अप्रैल को मोरपल्ली का दौरा किया. हर्षमंदर के ग्रामीणों के साथ बातचीत की सरकार द्वारा वीडियोग्राफी कराई गयी और उनके लिए गोंडी से हिन्दी अनुवाद का काम करने वाले गांव के दो आदिवासियों को सरकार ने उसी दिन पकड़ लिया और वे दोनों आदिवासी अंतिम सूचना मिलने तक लापता हैं.
 
हर्ष मंदर : अब क्या कहते हैं   
 दूसरी तरफ सर्वोच्च न्यायालय के खाद्य सुरक्षा सलाहकार हर्षमंदर के हेलीकाप्टर के वापिस जाने पर भी कोया कमांडो ने आदिवासियों की बची हुयी खाद्य सामग्री को जम कर लूटा. इन हमलों के बाद तिम्मापुरम में एक अप्रैल को दो बच्चों की भूख से मौत हो गयी है. आसपास के गाँवों के आदिवासियों ने अपने गाँवों पर सरकारी हमले की आशंका से अपनी झोपड़ियों की छतें उतार दी हैं और अब महिलायें कड़ी धूप  में बिना छत के छोटे बच्चों को गोद में लेकर घर में रह रही हैं!

इस मामले में हर्ष मंदर से बातचीत के जनज्वार की ओर से दो बार प्रयास किये गए, मगर उनकी ओर से इस मामले में अब तक कोई सफाई नहीं आ सकी है.   

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