Monday, April 25, 2011

चमत्‍कारों से साईं बाबा बने सत्‍यनारायण, साथ जुड़े कुछ विवाद भी


सत्‍यनारायण राजू ने 14 साल की उम्र में ही खुद को भगवान (शिरडी के साईं बाबा) का अवतार घोषित कर दिया था। उसके बाद वह घर छोड़ गए। चार साल बाद लौटे तो पुट्टापर्थी में पहला आश्रम बनाया। तब से साईं बाबा ने ऐसा अध्यात्मिक साम्राज्य बनाया जिसकी शाखाएं 167 देशों में फैली हैं। बाबा ने दर्शन दिया कि मैं भगवान हूं, तुम भी भगवान हो। फर्क इतना है कि मुझे यह मालूम है, तुम्‍हें नहीं।

सत्य साईं के इस रूप में चमत्कार भी हैं विवाद भी। वह कैंसर के मरीजों का इलाज चुटकियों में करते थे, चलने में लाचार लोगों को दौड़ा देते। इन चमत्‍कारों से उनके भक्‍तों का उन पर अटूट विश्‍वास बना। 

तर्कशास्त्रियों ने बाबा के चमत्‍कारों को हाथ की सफाई बताया। जादूगर पीसी सरकार ने उनके चमत्‍कार को जादू बता कर चुनौती दी। उन्‍होंने बाबा को आमना-सामना करने की चुनौती दी। हालांकि यह आमना-सामना कभी नहीं हुआ। पर उनके भक्‍तों को कभी इस पर यकीन नहीं हुआ। सरकार ने साईं की ही तरह हवा से भभूत और सोने की जंजीरनिकाल कर दिखा दी थी। इसके बाद भक्तों ने सरकार को धक्के मार कर आश्रम से बाहर कर दिया था। 

साईं के भक्‍तों को उम्‍मीद थी कि फिर एक चमत्‍कार होगा और साईं अस्‍पताल से ठीक होकर लौटेंगे। यह उम्‍मीद इसलिए भी थी क्‍योंकि बाबा ने खुद भविष्‍यवाणी की थी कि वह 96 साल से पहले देह त्याग नहीं करेंगे। लेकिन ऐसा नहीं हो सका।

साईं बाबा के साथ कई विवाद भी जुड़े। 40 हजार करोड़ रुपये का आध्यात्मिक साम्राज्य बनाए बैठे सत्यसाईं बाबा पर भक्तों को सम्मोहित करके उनका यौन शोषण करने के आरोप लगे। ब्रिटेन, स्वीडन, जर्मनी और अमेरिका के सांसदों केकई समूहों ने यह भी आरोप लगाए कि सत्‍य साईं बाबा तिकड़म और हाथ की सफाई दिखाते हैं। आरोपों के अनुसार आंध्र प्रदेश मेंपुट्टपर्थी स्थित सत्‍य साईं के आश्रम में इस तरह की शर्मनाक गतिविधियां लंबे समय से चलती रहीं और इनके बारे में कभी पुलिस रिपोर्ट तक नहीं लिखी गई। 

आरोप सामान्य शारीरिक संबंधों के अलावा समलैंगिक गतिविधियों के भी लगे और कुछ भक्तों का कहना रहा कि उन्हें मोक्ष दिलाने के बहाने उनके साथ शारीरिक संबंध बनाए गए। मलेशिया की एक भक्त ने सीधे सत्य साईं बाबा पर आरोप लगाया था तो ब्रिटेन की एक महिला ने यहां तक कहा कि बाबा और उनके सहयोगियों ने लंबे समय तक उसका शारीरिक शोषण किया। 

1970 मेंएक ब्रिटिश लेखक टाल ब्रोक ने सत्य साईं बाबा को 'सेक्स का भूखा भेड़िया' करार दिया था। कैलिफोर्निया (अमेरिका) के रहने वालेग्लेन मैनॉय ने अमेरिकी अदालत में सत्य साईं बाबा के खिलाफ मुकदमा चलाने की अर्जी दी थी।

जून 2004 में बीबीसी ने अपने कार्यक्रम 'द सीक्रेट स्‍वामी' में दावा किया कि भारत से लेकर कैलीफोर्निया तक सत्‍य साईं बाबा के कईपूर्व भक्‍तों ने उनसे मुंह मोड़ लिया है। इनका आरोप है कि बाबा ने उनकी जिंदगी बर्बाद की है। चैनल ने बाबा की एक पूर्व भक्‍तअलाया के हवाले से कहा कि बाबा ने उसका यौन शोषण किया। इस कार्यक्रम में दिए बाइट में अलाया ने कहा, 'मुझे उनके (सत्‍य साईंबाबा) की वो बात याद है कि यदि तुम ऐसा नहीं करती हो तो मैं क्‍या कर सकता हूं। तुम्‍हारे जीवन में कष्‍ट और परेशानियां झेलनीपड़ेंगी।'

2006 में ब्रिटेन में बाबा को लेकर नया विवाद उस वक्‍त शुरू हुआ जब सत्‍य साईं ट्रस्‍ट ब्रिटेन के ड्यूक ऑफ इडनबर्ग के अवार्ड चैरिटी का पार्टनर बना। दोनों पक्षों के बीच तय हुआ कि चैरिटी के करीब 200 युवा वालंटियर श्री सत्‍य साईं संगठन के लिए काम करने भारत जाएंगे। हालांकि स्‍थानीय लोगों के विरोध के बाद सत्‍य साईं बाबा संगठन की ब्रिटिश स्थित शाखा साईं यूथ यूके ने अपने कदम पीछे खींच लिए। कई लोगों (जिनमें सत्‍य साई के पूर्व भक्‍त भी शामिल थे) ने सवाल किए कि जब बाबा का चरित्र संदिग्‍ध है तो चैरिटी ने ऐसा फैसला क्‍यों किया। 

ब्रिटिश अखबार 'द गार्जियन' ने इस मुद्दे को तूल देते हुए कहा कि ड्यूक ऑफ इडनबर्ग अवार्ड से उस आध्‍यात्मिक समूह से जोड़ा जा रहा है जिसके संस्‍थापक पर बच्‍चों का यौन शोषण करने के आरोप हैं। आश्रम में यौन शोषण और आर्थिक धोखाधड़ी के शिकार हुए कई लोगों की रिपोर्ट जब पुलिस ने नहीं लिखी तो उन्होंने अपने उच्चायोगों और दूतावासों में शिकायतकी और आखिरकार अपने देशों में जा कर शिकायत लिखवाई।

ब्रिटेन की लेबर पार्टी के सांसद टोनी कोलमेन और भूतपूर्व ब्रिटिश मंत्री टॉम सैक्रिल ने तो यह मामला ब्रिटिश संसद में भी उठाया था। उन्होंने बीबीसी की एक रिपोर्ट को सबूत के तौर पर पेश किया और मांग की कि सत्य साईं बाबा को ब्रिटेन आने के लिए हमेशा के लिए प्रतिबंधित कर दिया जाए। यह बात अलग है कि सत्य साईं बाबा आमतौर पर अपने आश्रम से बाहर ही नहीं निकलते थे।

लेकिन जो भी हो, पर यह भी एक सच है कि साईं के भक्‍त लगभग दुनिया के सभी देशों में हैं। 167 देशों में उनका आश्रम चल रहा है और ट्रस्‍ट के जरिए लोकहित के कई काम हो रहे हैं। शायद यही खूबियां उन्‍हें हमेशा भक्‍तों के मन में जिंदा रखेंगी। 

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