Thursday, September 15, 2011

हिंदुस्तान "2014" में



Siraj Faisal Khanहामिद ने जैसे ही लाइब्रेरी के अंदर कदम रखा उसकी नज़र मेज़ पर पड़े अखबार पर पड़ी और उसके कदम बजाये आगे बढ़ने के पीछे की ओर मुड़े.
वो बहुत ही तेज़ी के साथ सीढ़ियों से निचे उतरा और दौड़ते हुए कॉलेज के गेट से बाहर निकल गया, किसी के समझ में नहीं आ रहा थे के वो दौड़ क्यों रहा है.
वो ऐसे भाग रहा था के जैसे मौत उसके पीछे पड़ी हो और उसे सामने की कोई भी चीज़ दिखाई नहीं दे रही हो.
भागते भागते वो एक दुकान पर पहुंचा और काउंटर पर हाँथ रखकर हांफते हुए दुकानदार से बोला- 

''तुम्हारे पास ज़हर मिलेगा''

दुकानदार: '' हाँ! शायद १०-१२ शीशी पड़ी होगी''

हामिद: '' वो सब मुझे दे दो''

दुकानदार (आश्चर्यचकित हो कर): '' मगर इतने ज़हर का तुम क्या करोगे?''

हामिद: '' मेरे घर में मेरा बुढा बाप है, बीमार माँ है, दो जवान बहने हैं, मोहल्ले में भी कई मुस्लिम घर हैं, सब में जवान लड़कियां और छोटे छोटे बच्चे हैं, मुझे इसकी बेहद ज़रूरत है, वो सब ज़हर मुझे दे दो''

दुकानदार: '' मगर क्यों ''

हामिद: '' हम असुरक्षित हैं, मैंने अभी अभी अखबार में पढ़ा है के मोदी देश का प्रधानमंत्री बन गया है ............''


भारत २०१४ में ??????

चलो अब मौत से ही दोस्तों हम दोस्ती कर लें,
सिवा इसके कोई चारा नहीं के खुदकुशी कर लें.....

3 comments:

  1. अगर तुम्हारा डर सच हो गया तो?

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  2. मोदी और उस जैसे भेड़िओँ के लिए चेतावनी

    शौक़ से खेलो ख़ून की होली लेकिन ये भी याद रहे,
    हमने भी इतिहास लिखा है दिल्ली की दीवारोँ पर,
    अच्छे अच्छे सम्राटोँ को हमने धूल चटायी है,
    अब लिखेंगे नाम तुम्हारा हम अपनी तलवारोँ पर!

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