जून में बिहार के फारबिसगंज में पुलिस फायरिंग में पांच लोगों की मौत के मामले
में सुप्रीम कोर्ट ने बिहार सरकार को नोटिस जारी किया है। कोर्ट ने मामले की सीबीआई
जांच की मांग पर बिहार सरकार से अपना रुख साफ करने के लिए कहा है। गौरतलब है कि इस घटना का वीडियो इंटरनेट पर आने के बाद
बिहार सरकार की काफी किरकिरी हुई थी।
जस्टिस आरएम लोढ़ा और जस्टिस जेएस शेखर की बेंच ने घटना की सीबाई जांच की मांग पर सुनवाई करते हुए आज बिहार सरकार को नोटिस जारी किया। गौरतलब है कि मानवाधिकार संगठन एशोसिएन फॉर प्रोटेक्शन ऑफ सिविल राइट्स (एसीपीआर) ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर कहा था कि बिहार सरकार उन पुलिस अधिकारियों को बचाने का प्रयास कर रही है जिन्होंने निहत्थे ग्रामीणों पर गोली चलाने का आदेश दिया। गैर सरकारी संगठन एसीपीआर ने कोर्ट से यह भी गुहार लगाई थी कि सरकार को पीड़ित परिवारों को राहत राशि के तौर पर दस दस लाख रुपए दिए जाए साथ ही घायलों को इलाज कराने के लिए पांच-पांच लाख रुपए दिए जाएं। गौरतलब है कि 3 जून को बिहार के अररिया जिले के फारबिसगंज में हुई पुलिस फायरिंग में फारबिसगंज के ब्लॉक रामपुर और भजनपुर गांवों के 5 लोग मारे गए थे।
यह लोग एक कारखाने के निर्माण के लिए दो गांवों से जोड़ने वाली सड़क की नाकेबंदी
के खिलाफ विरोध प्रदर्शन कर रहे थे. पुलिस ने न केवल प्रदर्शनकारियों पर गोली चलाई
बल्कि उन्हें उनके घरों तक पीछा करके उन्हें मार डाला पॉइंट ब्लैंक रेंज में जिन लोगों
को गोली मारी गई उनमें दो महिलाए और एक बच्चा भी शामिल थी।
इस घटना का एक वीडियो बिहार सरकार के लिए गले की हड्डी बन गया था। यह वीडियो दिखाता
है कि पुलिस किस तरह लोगों पर अत्याचार करते हुए संवेदनहीन हो जाती है। वीडियो में
एक युवक घायल पड़ा हुआ दिख रहा है और एक पुलिस वाले उसे अपने जूतों से कुचल रहा है।
बाद में यह युवक दम तोड़ देता है। इस वीडियो में पुलिस गोलीबारी में मारे गए गांव के
अन्य लोग भी दिखाई दे रहे हैं।
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