लखनऊ के पासपोर्ट अधिकारी जयप्रकाश सिंह नर्वदेश्वर
लॉ कॉलेज के छात्र भी हैं और लखनऊ विश्वविद्यालय के सीतापुर रोड स्तिथ परिसर में परीक्षा
दे रहे थे। परीक्षा में जयप्रकाश सिंह नक़ल भी कर रहे थे। उड़न दस्ता द्वारा नक़ल करते
हुए पकडे जाने पर धमकाया कि तुम सब जानते नहीं हो मै आइ.पी.एस अफसर हूँ। तुम सबको देख
लूँगा। इस छोटी सी घटना से आप सभी अंदाजा लगा सकते हैं कि भारतीय प्रशासनिक व पुलिस
सेवा के अधिकारियों का वास्तविक स्तर क्या है?
ये सभी अफसर अपने को ईश्वर का साक्षात स्वरूप मानते
हैं। घूस खाने से लेकर लम्पट एलेमेन्ट सबकुछ गैर कानूनी ढंग से करने के लिये हमेशा
तैयार रहते हैं हाँ कुछ अफसर ईमानदार हो सकते हैं। लखनऊ के आस पास के जिलों में प्रशासनिक
व पुलिस अफसरों के बड़े-बड़े फार्म हाउसेस हैं जो इनकी काली कमाई के स्पष्ट प्रमाण
हैं। ये अफसर सुबह से लेकर रात तक जो भी कुछ खर्च करते हैं उसमें से उनके वेतन से एक
नया पैसा खर्च नहीं होता है। छोटे जिलों में एक जिलाधिकारी के लिये शहर की तहसील का
लेखपाल नियुक्त होता है। जो इनकी पत्नी का साप्ताहिक घरेलू सामान का सप्लाई मुफ्त में
करता है। एक लेखपाल के अनुसार सौ पीस पीयर्स साबुन, सौ पीस मार्टीन जैसे आइटम खरीद के देने पड़ते हैं और दूसरा नौकर
आस-पास की परचून की दुकान पर उक्त साबुन या आवश्यकता से अधिक सामान वापस कर मेमसाहब
को पैसे देता है। जेल अधिकारीयों का काम होता है उनकी गाय को भूसा सप्लाई करना। यह
सब प्रशिक्षण उनको किसी प्रशिक्षण महाविद्यालय मे नहीं दिया जाता है बल्कि स्वभावत:
उनकी प्रशासनिक सेवा की यह सब हरकतें भी अंग हैं।
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