हम
एक उनकी आवाज़ छाप रहे हैं, जो इस देश में हिंदुत्व के झंडाबरदार हैं। आचार्य
गिरिराज किशोर विहिप (विश्व हिंदू परिषद) के उपाध्यक्ष हैं
और उग्र हिंदुत्व के परिभाषाकार। ये इंटरव्यू समकाल के
संवाददाता विश्वदीपक ने लिया है। जो है, वो
रिकॉर्डेड है। उम्मीद है, इनकी ज़बान हम-आप समझेंगे और अंतत: इनकी मंशा
भी।
पूरी दुनिया के आतंकवाद को इस्लामी आतंकवाद कहा जा रहा है। क्या आप मानते हैं कि इस्लाम से आतंकवाद का संबंध है?
हां, आतंकवाद का संबंध इस्लाम से
है। अभी तक सारे आतंकवादी इस्लाम के हैं। इस्लाम आतंकवाद की बुराई नहीं कर रहा
है, निंदा नहीं कर रहा है। इसी से यह सिद्ध होता है
कि आतंकवाद का संबंध इस्लाम से है।
क्या
सिर्फ मुसलमान ही आतंकवादी होते हैं? हिंदी, ईसाई
या किसी और मज़हब को मानने वाले नहीं?
मेरा यह कहना नहीं है। इस समय आतंकवाद मुसलमानों द्वारा ही
चलाया जा रहा है।
फलस्तीन
में जो कुछ इसराइल कर रहा है, क्या
वह आतंकवाद (यहूदी आतंकवाद) नहीं है?
यहूदी ही क्यों, वहां
मुसलमान भी कर रहे हैं। फलस्तीन में इसराइल जो कर रहा है ठीक कर रहा है। इसराइल 1900 वर्ष बाहर रहने के बाद घर में आया तो भी चैन
नहीं लेने दिया फलस्तीनियों ने। वास्तव में आप लोगों का दृष्टिकोण ही गलत है।
आतंकवादी
हिंदू धर्म में भी तो हो सकते हैं।
देखिए अपवाद एक अलग बात है। बाई एंड लार्ज हिंदू धर्म में
आतंकवादी नहीं हैं।
आपकी
नज़र में आतंकवाद की परिभाषा क्या है?
आतंकवाद का नज़रिया देश का विरोध...
मतलब, राष्ट्रवाद है
आपके नज़रिये के मूल में...
हां, कह तो दिया हां।
यहां
हिंदुस्तान में जितने भी मुसलमान हैं, वे
आप द्वारा पारिभाषित राष्ट्रवाद की श्रेणी में नहीं आते, तो
क्या आप पूरी मुसलमान कौम को आतंकवादी मानते हैं?
जब दो जातियों में युद्ध होता है तो उस समय फर्क नहीं किया
जाता। सबको एक बराबर रखा जाता है। इंग्लैंड और जर्मनी में लड़ाई थी तो सारे
जर्मनी वाले इंग्लैंड के लिए आतंकवादी थे और इसी तरह इंग्लैंड वाले जर्मनी वालों
के लिए।
आप यह
कहना चाह रहे हैं कि भारत में इस समय हिंदू और
मुसलमानों में युद्ध की स्थिति है?
बिल्कुल युद्ध की स्थिति आ गयी है। इसमें कोई कमी नहीं है।
दस वर्ष बाद फिर से 47 दोहराया जाएगा, देख लेना। और इस बार और बुरा होगा।
तो आप
पोप के उस बयान से सहमत हैं, जिसमें
उन्होंने किसी हवाले से कहा था कि इस्लाम हिंसा को प्रोत्साहन देता है?
भई, पोप ने क्या कहा- मुझे नहीं
मालूम लेकिन मैं यह जानता हूं कि कोई मुसलमान सीधा नहीं है। मुसलमान देश का भला
नहीं कर रहा है।
मैं
दो उदाहरण आप को याद दिलाना चाहता हूं। ब्रिगेडियर उस्मान
खान और अब्दुल हमीद...
भई अपवाद हर जगह होते हैं। अपवादों की गिनती नहीं होती।
यह तो
आपका व्यक्तिगत नज़रिया है लेकिन मैं आपको याद
दिलाना चाहता हूं कि कुछ साल पहले हंस में राजेंद्र यादव ने...
हंस एक कम्युनिस्ट पत्रिका है।
आप क्या
कहना चाहते हैं कम्युनिस्टों के बारे में?
कम्युनिस्ट देशद्रोही होते हैं।
यदि
कम्युनिस्ट देशद्रोही होते हैं तो फिर देशभक्त कौन है? क्या
सिर्फ कट्टरपंथी हिंदू ही देशभक्त होते हैं?
भारत में हिंदू ही है जो देश के बारे में विचार करता है।
कम्युनिस्ट हर चीज़ को रूस और चीन की निगाह से देखता है।
आप उस
सिद्धांत को दोहरा रहे हैं जिसके अनुसार धर्म के आधार पर ही
देश प्रेम की परिभाषा तय की जाती है?
धर्म की बात ही पक्की है, बड़ी
है और देश का कानून छोटा है, कच्चा है। वे (कम्युनिस्ट)
गद्दार हैं देश के।
भारत
के दूसरे क्षेत्रों में भी अलगाववादी, हिंसक
गतिविधियां चल रही हैं। पूर्वोत्तर में, कश्मीर में और देश के बीचोबीच नक्सल प्रभावित
क्षेत्र हैं। क्या यह सब आतंकवाद नहीं है?
कश्मीर में मुसलमान आतंकवाद चला रहा है और असम में भी।
लेकिन
असम में तो नगा और मिजो हैं और शायद आप भी जानते हैं कि
वे जनजातियां हैं।
ईसाई हैं वे...
क्या
आप इसे ईसाई आतंकवाद कहेंगे...
ईसाई जो हैं... हैं, झगड़ा
कर रहे हैं। यह आतंकवाद ही तो है। जो भी देश से झगड़ा करेंगे वे सब आतंकवादी हैं।
अभी
कुछ दिन पहले महाराष्ट्र से ख़बर आयी थी कि आरएसएस या
बजरंगदल के लोग एक घर में चोरी-छिपे बम बना रहे थे और बाद में बम फट गया था, जिसमें
कुछ लोग घायल भी हुए थे?
ये सारी बातें झूठ है। और इतना ज़्यादा अत्याचार होने के
बाद अगर कोई इसका जवाब दे तो उसमें कोई ग़लत नहीं है।
मतलब
यह कि गोधरा में सन 2000 में जो कुछ हुआ था उसे आप आज
भी सही ठहराएंगे। तब भी आप लोगों ने इसी तरह की दलीलें दी थीं।
गोधरा में जो हुआ... क्या हिंदू कभी अत्याचार करता है
मुसलमानों पर। क्यों आपकी दृष्टि में कोई हिंदू अत्याचार करता है क्या?
अत्याचारी
तो कोई भी हो सकता है। उसका हिंदू या मुसलमान होने से
क्या संबंध...
संबंध है। जिस जाति में यह पढ़ाया जाता है कि इन-इन को मारो
हमेशा, वे अत्याचारी तो हैं ही।
कुरान की लगभग 24 आयतें ऐसी हैं, जो दूसरे धर्म के विरोध में हैं।
रामचरितमानस
में एक चौपाई है- ढोल, गंवार, शू्द्र, पशु, नारी, ये
सब ताड़न के अधिकारी। इस चौपाई में तो मारने की बात की गयी है?
इसका अर्थ क्या है...
तो
आपने यह कैसे मान लिया कि आयतों का यही सही अर्थ है?
आयतों का वही अर्थ है जो उन्होंने स्वयं दिया है। और ढोल, गंवार, शूद्र, पशु नारी का अर्थ है कि इतने लोग ताड़ना के
अधिकारी हैं। मतलब इन पर हमेशा अनुशासन रखना चाहिए।
आपने
अभी कुरान में हिंसा फैलाने वाली आयतों की तो बात की लेकिन
आपको हिंदू धर्म में भी सैकड़ों ऐसी चौपाइयां, श्लोक
और तमाम चीज़ें मिल जाएंगी जिनमें हिंसा फैलाने की बात की गयी है। इनके बारे में
आप क्या कहेंगे?
जो भी बातें हैं आपस के बारे में हैं। किसी दूसरे धर्म के
बारे में नहीं है।
अब तक
की बातचीत में आपने हिंसा पर काफी ज़ोर दिया है। शायद आप
हिंसा को आतंकवाद का एक पैमाना मानते हैं। लेकिन भारत के पूरे इतिहास में महाभारत
युद्ध से बड़ी हिंसा कभी नहीं हुई और कृष्ण ने महाभारत का युद्ध करवाया, तो
क्या आप कृष्ण को आतंकवादी कहेंगे?
तुम हद करते हो, यार...
बस, जाओ। कोई हिंदू इस तरह की बात नहीं करेगा।
युद्ध के माध्यम से तो कृष्ण ने अधर्म को हटाया...
तो क्या
इस समय...
अभी, वास्तव में मार दूंगा मैं
तुम्हें... कृष्ण के बारे में इस तरह की बात करोगे तो।
तो आप
यह कहना चाह रहे हैं कि हिंदू और मुसलमानों के बीच वैसा
ही धर्म और अधर्म का युद्ध होने वाला है, जैसा कृष्ण के समय में हुआ था?
1947 में मुसलमानों ने देश का
विभाजन करा दिया लेकिन फिर भी आप लोगों को अकल नहीं आयी। अब फिर विभाजन होगा।
लेकिन
मोटे तौर पर इतिहासकारों का मानना है कि देश का विभाजन
कराने में जिन्ना और अन्य सांप्रदायिक शक्तियों का मुख्य हाथ था। इनमें आरएसएस
का नाम भी शामिल है।
वे सब बेवकूफ हैं। उन्हें कुछ भी मालूम नहीं। और इस तरह का
कोई प्रमाण भी नहीं है। वे सब उल्टी आंखों से देखते हैं। उनकी आंखों में या तो
कम्युनिस्ट चश्मा होता है या मुसलमानों का चश्मा।
हिंदू
और मुसलमानों में कितने भी मतभेद हों, लेकिन
इतने सालों तक साथ रहने की वजह से दोनों का एक सामूहिक सामाजिक जीवन है जहां
वे बराबरी से एक दूसरे का साथ निभाते हैं...
देखो, इमामों के साथ मेरी एक बैठक
थी। मैंने उनसे कहा कि यदि आपस में आप स्थायी मेल चाहते हैं तो चीज़ मुझे खराब
लगती हो उसे आप हटा दें और जो आपको ख़राब लगती हो उसे हम हटा दें, तो वे तैयार ही नहीं हुए। कहने लगे कि कुरान से
एक शब्द भी नहीं हटेगा।
तो, आप
लोग तैयार हैं हिंदू धर्मशास्त्रों से इस तरह की
आपत्तिजनक चीज़ें हटाने के लिए?
हां, हम तैयार हैं। हम दूसरों के
बारे में बात करते ही नहीं। जो भी गुण-अवगुण हैं अपने बारे में बताते हैं। और सारा
दर्शन हमारा जो है इसी बात पर निर्भर करता है। इस्लाम तो दर्शन है ही नहीं। उसमें
तो सांसारिक बातें हैं।
तो
इस्लाम को दर्शन नहीं मानते आप?
कह तो दिया एक बार कि नहीं।
कई
रिपोर्टें और सर्वे बताते हैं कि मुसलमान जीवन के हर स्तर
पर हिंदुओं की अपेक्षा काफी पीछे हैं, इसलिए उनको आरक्षण मिलना चाहिए। क्या आप मानते
हैं?
नहीं मानते। एक बार आरक्षण से देश का विभाजन हो चुका है। वे
देश का दूसरा विभाजन करवाना चाहते हैं। उस समय मुसलमानों का देश की राजनीति में
आरक्षण था, इसलिए विभाजन हुआ। अब फिर
विभाजन कराना चाहते हैं। आरक्षण किसी भी प्रकार से ख़राब है, चाहे हिंदुओं के लिए हो या मुसलमानों के लिए।
तो
हिंदुओं में अनुसूचित जाति, जनजाति और पिछड़े वर्ग को बराबरी के लिए जो
आरक्षण दिया जा रहा है उसे आप ख़राब मानते हैं?
नहीं वास्तव में जो ग़रीब हैं उनको आरक्षण मिलना चाहिए।
आर्थिक आधार पर आरक्षण मिलना चाहिए। अब यह क्या मतलब है कि ब्राह्मण है या अपर
कास्ट है, उससे कोई मतलब ही नहीं है।
चाहे बेचारा भूखा मरता हो। और एक पिछड़े वर्ग से है वह चाहे जितना कमाता हो, पैसे से भरपूर हो तब भी उसे आरक्षण मिले।
क्रीमी लेयर को आरक्षण नहीं मिलना चाहिए।
(बातचीत और भी चली लेकिन आचार्य
गिरिराज किशोर ने टेप रिकॉर्डर बंद करवा दिया। इसलिए बाद की बातें रिकॉर्ड
नहीं की जा सकीं।)
Giriraj kishor ji se koi ye puche k unhone jo ye baat kahi kya ye sahi hai k jb patrakaar mahodya ne ye prashna pucha to //तो हिंदुओं में अनुसूचित जाति, जनजाति और पिछड़े वर्ग को बराबरी के लिए जो आरक्षण दिया जा रहा है उसे आप ख़राब मानते हैं?
ReplyDeletetounka jawab ye hona chahiye tha k gareeb chahe jo bho ho muslim ya hindu use milna chahiye.
2- aacharya ji ye baten k pragya singh colonel purohit wagairah k mamle me wo chhup kyun hain kya unhone aatankvad ko bdhaba nai diya hai ??
aur wo ye bhi btane ka kast karen k yadi silaam darshan nahi hai to kya hai aur iske baare me wo kya kahenge///'वेदों की निंदक गीता''
, निन्दा, वेद
पुस्तक ''क्या बालू की भीत पर खड़ा है हिन्दू धर्म?'' डा. सुरेन्द्र कुमार शर्मा 'अज्ञात' विषय ''वेदों की निंदक गीता'' में लिखते हैं कि वेद और गीता के अरिक्ति सभी धर्म ग्रंथ मानव रचित माने जाते हैं
वेदों और गीता का विषयगत विश्लेषण इस निर्णय पर ले जाता है कि ये दोनों धर्म ग्रंथ एक ही 'धर्म' के नहीं हो सकते और नही इन का रचयिता एक ही तथाकथित परमात्मा हो सकता है,
वेदों में जगह जगह इच्छा और कामना पर बल दिया गया है-
कुर्वन्नेवेह कर्माणि जिजीविषेच्छतं समाः
एवं त्वयि नान्यथेतोऽस्ति न कर्म लिप्यते नरे- यजु 40/2
अर्थातः हे मनुष्यों, कर्म करते हुए सौ वर्ष जीने की इच्छा करो
जबकि गीता कहती है-
मा कर्मफलहेतुर्भूः - गीता 2/47
अयुक्त- काकारेण फले सक्तो निबध्यते - गीता 5/12
अर्थात फल की इच्छा रखने वाले व्यक्ति फल में आसक्त होते हैा और बंधन में पड़ते हैं
...
वेदों की ऐसी खाल तो नास्तिकों ने भी नहीं उतारी होगी जैसी गीता ने उतारी है, गीता में वेदों के नाम पर गलत बयानी की गई है, वेदों में कहीं भी ईश्वर को 'पुरूषोत्तम' नहीं कहा गया, लेकिन गीता के 15 वें अध्याय में गीता का वक्ता स्वयंभू ईश्वर कहता हैः
अतोऽस्मि लोके वेदे च प्रथित- पुरूषोत्तमः - 15/18
अर्थात में लोक और वेद में 'पुरूषोत्तम' के नाम से प्रसिद्ध हूं
.....
वेदों में अवतारवाद का सिद्धांत है, वेदों में परमात्मा के अवतार धारण करने का कहीं उल्लेख नहीं मिलता, पर गीता का यह एक प्रमुख सिद्धांत है
यदा यदा हि धर्मस्य ग्लानिर्भवति भारत
अभ्युतथानमधर्मस्य तदात्मानं सृजाम्यहम
परित्राणाय साध्ूनां विनाशाय च दुष्क़ताम्
धर्म संस्थापनार्थाय संभवामि युगेयुगे - गीता 4/7-8
aur ye sb kya hai ////४- ढोर, गंवार, शूद्र और नारी, ये सब ताडन के अधिकारी हैं, यानी नारी को ढोर की तरह मार सकते हैं....तुलसी दास पर भी इसका प्रभाव दिखने को मिलता हैं, वह लिखते हैं-"ढोर,चमार और नारी, ताडन के अधिकारी."
ReplyDelete- मनुस्मुर्तिःअध् याय-८ श्लोक-२९९
५- असत्य जिस तरह अपवित्र हैं, उसी भांति स्त्रियां भी अपवित्र हैं, यानी पढने का, पढाने का, वेद-मंत्र बोलने का या उपनयन का स्त्रियो को अधिकार नही हैं.- मनुस्मुर्तिःअध् याय-२ श्लोक-६६ और अध्याय-९ श्लोक-१८.
६- स्त्रियां नर्कगामीनी होने के कारण वह यग्यकार्य या दैनिक अग्निहोत्र भी नही कर सकती.(इसी लिए कहा जाता है-"नारी नर्क का द्वार") - मनुस्मुर्तिःअध् याय-११ श्लोक-३६ और ३७ .
७- यग्यकार्य करने वाली या वेद मंत्र बोलने वाली स्त्रियो से किसी ब्राह्मण भी ने भोजन नही लेना चाहिए, स्त्रियो ने किए हुए सभी यग्य कार्य अशुभ होने से देवो को स्वीकार्य नही हैं. - मनुस्मुर्तिःअध् याय-४ श्लोक-२०५ और २०६ .
aur acharya ji tk koi mera ye prashna bhi pahuncha de k yadi saare muslims ko aap aatankvaadi mante hain to aap ka in hindu aatankvaadiyon k baare me kya vichhar hai////
ReplyDelete1- मालेगाँव का बम विस्फोट
लेफ़्टिनेंट कर्नल श्रीकांत, साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर,
2- अजमेर दरगाह का बम विस्फोट
स्वामी असीमानंद , इंद्रेश कुमार (आरएसएस के वरिष्ठ नेता), देवेंद्र गुप्ता, साध्वी प्रज्ञा सिंह, सुनील जोशी, संदीप डांगे, रामचंद्र कलसांगरा उर्फ रामजी, शिवम धाक़ड, लोकेश शर्मा, समंदर , योगी आदित्यनाथ
3- मक्का मस्जिद का बम विस्फोट
स्वामी असीमानंद एन्ड कंपनी
4- समझौता एक्सप्रेस का बम विस्फोट
स्वामी असीमानंद एन्ड कंपनी
5- नांदेड बम विस्फोट
संघ कार्यकर्ता राजकोंडवार
6- गोरखपुर का सिलसिलेवार बम विस्फोट
पुलिस ने कलकत्ता के एक आफ़ताब आलम अन्सारी है, को गिरिफतार किया था बाद मे कोर्ट से बा ईज्जत रिहा हुये
7- मुंबई ट्रेन बम विस्फोट किन लोगो का षड्यंत्र था
आज तक सच सामने नही आया
8- घाटकोपर में बेस्ट की बस में हुए बम विस्फोट
आज तक सच सामने नही आया
9- वाराणसी बम विस्फोट किन लोगो का षड्यंत्र था
आज तक सच सामने नही आया
10- कानपुर बम विस्फोट
बजरंग दल कार्यकर्ता , भूपेन्द्र सिंह छावड़ा और राजीव मि