हाल में ही पाकिस्तान की एक
हिन्दू लड़की के धर्म परिवर्तन की खबर भले ही सुर्खियां बना हो लेकिन एक ताजा
सर्वे में इस घटना से भी अधिक चौंकानेवाली सच्चाई सामने आई है. पाकिस्तान में किये
गये एक सर्वे में यह बात सामने आई है कि पाकिस्तान में 74 फीसदी हिन्दू और ईसाई लड़कियां जानबूझकर नापाक कर दी जाती हैं. पाकिस्तान की
बहुसंख्यक मुस्लिम कम्युनिटी जानबूझकर उनके साथ सेक्सुअल ह्रासमेन्ट करता है. जबकि
43 फीसदी हिन्दुओं और इसाईयों का कहना है कि उनके साथ काम करने की जगह से लेकर
स्कूलों तक अल्पसंख्यक होने के कारण भेदभाव किया जाता है.
पाकिस्तान
के अल्पसंख्यकों पर यह सर्वे एक मानवाधिकार संगठन नेशनल कमीशन फार जस्टिस एण्ड
पीस ने किया है. इस सर्वे में पंजाब और सिन्ध के 26 जिलों को शामिल किया गया है
जहां पाकिस्तान के कुल अल्पसंख्यकों का 95 फीसदी आबादी निवास करती है. पाकिस्तान के एक
हजार अल्पसंख्यकों पर किये गये इस सर्वे में बताया गया है कि शैक्षणिक स्थानों पर
महिलाओं के साथ जानबूझकर उत्पीड़न किया जाता है. यहां स्कूलों की जो हालत है उसमें
महिलाओं के लिए इस्लामिक विषयों की पढ़ाई अनिवार्य है. महिलाओं का कहना है कि कोई
और सब्जेक्ट न होने पर इस्लामिक विषयों की पढ़ाई उनकी मजबूरी है.
मानवाधिकार
संगठन के कार्यकारी सचिव पीटर जैकब ने मीडिया को बताया कि यह सर्वे हिन्दू और ईसाई
अल्पसंख्यक महिलाओं के बीच किया गया है क्योंकि पाकिस्तान में यही दो बड़े
अल्पसंख्यक समुदाय है. पाकिस्तान के अल्पसंख्यकों में हिन्दू और इसाई 92 प्रतिशत
हैं.
सर्वे
में यह नतीजा सामने आया है कि पाकिस्तान में अल्पसंख्यक महिलाओं के लिए कोई नीति
नहीं है. उन्हें हर जगह गैरबराबरी का सामना करना पड़ता है और उनका जमकर उत्पीड़न
किया जाता है. पाकिस्तान में अल्पसंख्यक महिलाओं में साक्षरता दर 47 प्रतिशत
है जो कि राष्ट्रीय औसत से भी दस प्रतिशत कम है. पाकिस्तान में शिक्षा के अलावा
जबरन धर्मांतरण और यौन शोषण अल्पसंख्यक महिलाओं के लिए सबसे बड़ा संकट है.
पाकिस्तान
में पच्चीस लाख से पचास लाख के करीब हिन्दू बचे हैं जबकि यहां ईसाईयों की आबादी
तीस लाख के करीब है. पाकिस्तान के अधिकांश अल्पसंख्यक सिंध और पंजाब क्षेत्र में
रहते हैं. पाकिस्तान में औसतन हर साल 25 से 45 मामले हिन्दू लड़कियों के अपहरण के दर्ज किये
जाते हैं.
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