मध्यप्रदेश मे सरकारी
खजाने का एक
बड़ा भाग उन
योजनाओ पर खर्च
हो रहा है
जो लड़कियो को
बचाने एवं उनके
सम्मान के लिये
बनाई गई है
या यह कह
सकते हैं जो
योजना मध्यप्रदेश की
भाजपा सरकार ने
संघी ऐजेंडे को
पूरा करने के
लिए बनाई है।
मध्यप्रदेश मे भाजपा
की दूसरी पारी
और आठवे वर्ष
तक इस सरकार
ने ऐसी कई
योजनाए बनाई है
जो लड़कियो की
तरक्की के लिए
कही जाती रही
है, परन्तु तमाम
सरकारी दावो के
बाद मध्यप्रदेश मे
लड़कियो या महिलाओ
की स्थिति अत्यंत
दयनीय है और
महिलाओं पर अत्याचार
की पराकाष्ठा तब
होती है जब
पुलिस द्वारा ही
थानो में बंदी
महिलाओ से बलात्कार
किया जाता है।
राष्ट्रीय अपराध रिकार्ड ब्युरो(एनसीआरबी) के आकड़ो
के अनुसार मध्यप्रदेश
में लगातार तीसरे
वर्ष सर्वाधिक बलात्कार
की घटनाएं हुई
है। वर्ष 2008 में
2937 महिलाओं के साथ
बलात्कार की घटनाऐं
हुई और ये
ऑकड़ा 2009 में 2998 तथा 2010 में
3135 तक पहुंच गया अर्थात
मध्यप्रदेश में हर
दिन लगभग 8 महिलाए
बलात्कार की शिकार
हो रही है।
इन घटनाओं के
पिछे परोक्ष-अपरोक्ष
रूप से मध्यप्रदेश
सरकार की पुनरूत्थानवादी
नीतिया ही जिम्मेदार
है। भगवा विचारधारा
के चलते मध्यप्रदेश
में सरकार द्वारा
बचे कुचे सामंती
अवशेषों को संरक्षित
करने का पुरजोर
प्रयास किया जा
रहा है इसलिये
महिलाओं पर अत्याचारों
में बढ़ोतरी हो
रही है।
मुख्यमंत्री को अपनी
भांजियो से इतना
प्यार है कि
उन्हाने कन्यादान जैसी योजनाओ
का क्रियान्वयन करते
समय देश के
संविधान की धज्जिया
उड़ा दी जो
कहता हैं ’किसी
भी व्यक्ति का
दान या व्रिकय
नही किया जा
सकता‘। इसके
अतिरिक्त मंगल दिवस,
गोदभराई और लाड़ली
लक्ष्मी योजना जैसी कई
योजनाओं को लागू
करके भाजपा सरकार
ने अपने संघी
आकाओ को खुश
करने और सरकारी
तन्त्र का भगवाकरण
करने मे कोई
कसर नही छोड़ी
।
भाजपा की सरकार
और भगवा विचारधारा
वाले संगठन लड़कियो
को या तो
पैर की जूती
समझते हैं या
देवी समझकर उनकी
पूजा करते हैं
दोनो ही स्थिति
में इनकी भगवा
विचारधारा महिलाओ को इंसान
नही समझती और
उन्हे प्रताड़ित करती
हैं। पिछले दिनो
भोपाल मे संघी
दलालो द्वारा ऐसे
ही सांमती फरमान
जारी किये गये
जिसमे कहा गया
की लड़कियां जींस
पहनकर मंदिरो मे
प्रवेश न करें।
इससे हिन्दू संस्कृति
दूषित हो रही
है। कई स्थानो
पर भगवा ब्रिगेड
द्वारा प्रेमी युगलो की
पिटाई की गई
जिस पर प्रायः
पुलिस भी चुप्पी
साधी रही। धर्म
और संस्कृति के
आधार पर भगवा
विचारधारा वाले संगठन
समय समय पर
औरतों पर अत्याचार
करते आए हैं।
मध्यप्रदेश के अतिरिक्त
जहॉ भी भाजपा
की सरकार है
वहा महिलाओ पर
सामंती और पितृसत्तात्मक
हमलो मे तेजी
आई है।
पिछले वर्षो में बैगलोर
के डिस्को और
पबो पर हमला
कर इन लोगो
ने महिलाओ को
नैतिकता का पाठ
पढ़ाने का प्रयास
किया क्योंकि इन
पढ़ी लिखी और
स्वतंत्र आचरण वाली
महिलाओ से पितृसत्तात्मक
समाज को कड़ी
चुनौति मिल सकती
है इसलिए इन
पर हमले लगातार
बढ़ते जा रहे
हैं ।
वहीं दूसरी ओर मध्यप्रदेश
में घरेलु हिंसा
के मामलों में
भी स्थिति गंभीर
है। वर्ष 2010 में
3756 महिलाऐं घरेलू हिंसा का
शिकार हुई अर्थात
प्रदेश में हर
दिन 10 महिलाओं को उनके
रिष्तेदारों द्वारा प्रताड़ित किया
जा रहा है।
मध्यप्रदेश सरकार की लाड़ली
लक्ष्मी योजना और कन्यादान
जैसी योजना के
चलते समाज में
दहेज की मांग
बढ़ी है साथ
ही प्रदेश में
दहेज हत्या के
प्रकरणों में वृद्धि
हुई है। वर्ष
2003 में 648 दहेज हत्या
हुई वहीं ये
ऑकड़ा 2010 में बढ़कर
892 तक पहुंच गया अर्थात
हर दिन तीन
महिलाओं की दहेज
के लिये हत्या
की गई।
यह सर्वविदित है कि
विकास के लिए
महिलाओं को भी
वही दर्जा दिया
जाए जो पुरूष
को इस समाज
में प्राप्त है
लेकिन सरकार द्वारा
संचालित सभी योजनाएं
हिन्दुत्व का प्रचार
एवं हिन्दुओ का
तुष्टिकरण मात्र है पिछले
आठ वर्षो में
भाजपा के शासन
काल के दौरान
प्रदेश में सरकारी
तंत्र का भगवाकरण
और फासीवादी आक्रमणों
के चलते जनवादी
ताकते कमजोर हुई
है इस कारण
प्रदेश की भाजपा
सरकार ने महिलाओं
को दोयम दर्जे
पर लाकर खड़ा
कर दिया है।
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