Saturday, July 28, 2012

इंडिया टुडे की कवर स्टोरी पर चंद बातें



9/11और 26/11 के बाद कुछ बातें पूरी तरह साफ़ हो गईं कि सारी दुनिया में मुसलमानों को सिर उठा कर नहीं जीने देना है और उनकी दिफ़ा में जो बोले उस की ज़िंदगी ख़राब कर देना है, वो भी इस तरह कि कोई और हिम्मत ना कर सके, मुसलमान मौरिदे इल्ज़ाम ठराए जाते रहेंगे तो हमेशा जूते के नीचे रहेंगे, अपने हक़ की बात तो दूर इल्ज़ामात से निजात पाने के लिए ही एड़ियां रगड़ते रहेंगे हमारे क़दमों में पड़े रहेंगे। मैं चाहता था सच सामने आए असल दहशतगर्द बेनकाब हों, बेगुनाह जेल की सलाखों से बाहर आएं, ये होने लगा तो जैसे मुस्लिम दुश्मनों के सिर पर क़यामत टूट पड़ी, अज़ीज़ बर्नी को रोको वो लिखने ना पाए, वो बोलने ना पाए, इसे मुल्क दुश्मन साबित कर दो, अपने मसाइल में उलझा कर रख दो, तमाम इख़्तियारात छीन लो, किसी को क़रीब मत आने दो, बिलकुल तन्हा कर दो, जो लिखा आज तक इस में आग लगा दो, ज़ाया कर दो ताकि आने वाली नस्लें पढ़ ना पाएं, सब सिर जोड़ कर बैठो, आपसी सियासी दुश्मनी भुला दो, इसके ख़िलाफ़ एक हो जाओ, इसे जीते जी मार डालो, हमारी सियासत के लिए इस का ख़त्म होना ज़रूरी है। मुसलमान हमारे ग़ुलाम बने रहें, हमें वोट दे कर अपनी गु़लामी पर मोहर लगाते रहें, कोई मुस्लिम लीडरशिप की बात करे तो उसे देश के गद्दार, पाकिस्तानी, अलैहदगी पसंद कहो।
सियासी हिमायत, मीडिया का सपोर्ट ये साबित करने के लिए काफ़ी है। क़ौम के ग़द्दार उनके ज़र ख़रीद ग़ुलाम, उन की हाँ मैं हाँ मिलाने के लिए उनके पीछे मुट्ठी भर मुसलमान हमेशा खड़े रहेंगे, तो क्या इन हथकंडों से सच बदल जाएगा, तारीख़ बदल जाएगी, ज़िंदा क़ौम हमेशा के लिए ग़ुलाम बन जाएगी। नहीं, कभी नहीं, ख़ुद को देश भक्त कहने वाले आरएसएस का एक भी सदस्य अपनी असल ज़िंदगी में मुझ से बेहतर हिंदुस्तानी ख़ुद को साबित कर दे तो बड़ी से बड़ी सज़ा के लिए तैय्यार, पर तुम झूटे इल्ज़ामात से क़ौम को ज़लील करते हो, ये नामंज़ूर, मेरी ज़िंदगी में ये नहीं हो सकता।
26/11 के हवाले से इंडिया टुडे के 16जुलाई के इश्यू में कवर स्टोरी दी सिक्रेट प्लाट टू ब्लेम इंडिया में मुझे मेरे मज़ामीन को, ए आर अन्तुले साहब, और दिग्विजय सिंह जी का हवाला दिया गया है। अन्तुले साहब ने अपने अल्फ़ाज़ को अपनी ग़लती तस्लीम कर लिया, दिग्विजय सिंह जी ने ख़ामोश रहने का फ़ैसला कर लिया, पर मैं अपने लिखे मज़ामीन के एक एक लफ़्ज़ पर क़ायम हूँ। हमारी खु़फ़िया तंज़ीमों की रिपोर्ट के मुताबिक़ और तमाम सबूतों की रौशनी में मैं पाकिस्तान को ज़िम्मेदार मानता हूँ लेकिन इससे शहीद हेमंत करकरे की तफ़तीश को रद्दी की टोकरी में नहीं फेंका जा सकता है, मैंने सवाल उठाए उन्हें नज़रअंदाज नहीं किया जा सकता। आरएसएस को जांच में बेदाग़ साबित हुए बगै़र, क्लीनचिट नहीं दी जा सकती। ये आरएसएस की नहीं देश की आबरू का सवाल है और देश की अस्मत के सामने आरएसएस कया है, जिन्हें अज़ीज़ बर्नी के लिखने से तकलीफ़ है वो असीमानंद का क़ुबूल नामा पढ़ लें। सीआईए, मोसाद और आरएसएस का गठजोड़ शहीद हेमंत करकरे की जांच का नतीजा है, मेरे दिमाग़ की उपज नहीं है, इस पर बात ना करना, कौन सा राष़्ट्रा हित है, ये राष़्ट्र नेता जानें, मेरे जैसा हिंदुस्तानी ना समझता है ना समझना चाहता है। अज़ीज़ बर्नी की रगों से वीर अबदुल हमीद के ख़ून की उम्मीद की जा सकती है , पुरोहित या उपाध्याय के ख़ून की नहीं, चुप हूँ यार अपनी मर्ज़ी से, पिंजरे में क़ैद हूँ गूंगा नहीं हूँ, पैरों में बेड़ियां नहीं हैं। मुझे मत बताओ किस ने क्या गुनाह क़बूल किया और क्या बयान दिया है। इस सिस्टम ने दिल्ली के मोहम्मद आमिर से भी सारे गुनाह क़बूल करा लिए थे, फिर उसने ख़त लिखा मुझे तिहाड़ जेल से, मैंने सच बेनकाब करने का अज़्म किया, अल्लाह का करम है वो बाइज़्ज़त बरी हुआ। ठीक है मुझे सज़ा मिली कोई बात नहीं। आमिर जैसे बहुत से बेगुनाह आज़ाद तो हुए।
कोई बात नहीं, शेर अभी माँद में है, आपकी दुआएं साथ रहीं और खुदा चाहेगा तो फिर निकलेगा बाहर और रखेगा सच सामने। महात्मा गांधी के लिए ज़मीन तंग कर दी गई थी अंग्रेज़ों के ज़रीए, फिर उन्होंने हिंदूस्तान की आज़ादी की जंग जारी रखी साऊथ अफ़्रीक़ा में, हो सकता है मुझे भी वतन छोड़ना पड़े लेकिन ये सिलसिला रुकेगा नहीं। ज़रूरत पड़ी तो तारीख़ को फिर दुहराया जाएगा, हम आज़ाद हिंदुस्तान में पैदा हुए मुसलमान हैं हमें ग़ुलाम बनाया जाय, ये हो नहीं सकता, 10-20 या 100-50 कुर्सी के भूखे ख़रीदे जा सकते हैं, 24करोड़ हिंदुस्तानी मुसलमान नहीं। आप इस तादाद पर भी सवाल करेंगे, मुसलमान तो 12करोड़ हैं, ये 24करोड़ क्यों लिख रहा है, करूंगा इस मौज़ू पर भी बात, अभी तो इंडिया टुडे के ज़रीया उठाए गए सवालों का जवाब देना है। वो सब मज़ामीन हैं मेरे पास। फेसबुक के रीडर की अदालत में एक एक कर सब को पेश कर देना है, फिर पूछना है बताओ देश हित किया है, क्या ग़लत लिखा मैंने , हाँ आरएसएस हित का ध्यान नहीं रखा ये ज़रूर किया मैंने लेकिन राष़्ट्र हित मेरे लिए कल भी बहुत अहम था आज भी बहुत अहम है और कल भी अहम रहेगा।

2 comments:

  1. सर बर्नी सर हम आपके साथ थे साथ हैं और रहेंगे चाहे हमारे लिये भी जमीन तंग हो जाये मगर इस लड़ाई में हम आपका साथ नहीं छोडेंगे हमे मालूम है आपको किस जुर्म की सजा दी जा रही असद रजा उपेन्दर राय जैसे आऱएसएस के चमचों ने इनका हश्र बुरा होगा बहार फिर से आयेगी आपकी कलम आपके साथ है जरूरी नहीं कि सहारा परिवार ही इस मुल्क की जनता को पत्रकारों को रोजी देता हो रोजी तो खुदा देता ।

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  2. masaallah bht burney shahb 24 crore muslim aapke sath hai

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