अपनी लाचारी और
बेबसी पर ख़ून के आंसू रोने के सिवा कर ही किया सकता हूँ। 2 रोज़ से तबियत बेहद ख़राब
और मसूरी से आने वाली ख़बरें ख़ून के आंसू रुलाने वाली, मेरे
सामने मरने वालों की लाशें, उनके नामों की फ़ेहरिस्त, ज़ख़्मियों के चेहरे, वो मेरे मुंतज़िर, मौलाना मोहम्मद साहिब व दीगर अफ़राद के मुसलसल फ़ोन, लेकिन एसएसपी ग़ाज़ियाबाद की तरफ़ से आने की इजाज़त नहीं। एन.जी.ओ क्यों किस
के लिए, इन्हीं के लिए ना, जो बेगुनाह
मारे जा रहे हैं, मीडिया हाऊस की ज़रूरत क्यों? इन्ही बेगुनाहों के तहफ़्फ़ुज़ और इंसाफ़ दिलाने के लिए। आप सबके सामने दामन
फैला कर मुत्तहिद होने और साथ खड़े होने की अपील क्यों? इन्ही
हालत का सामना करने और ऐसे हालत ना पैदा होने के लिए आप सब का साथ आने का ऐलान,
मगर सब कुछ सामने आने पर भी ख़ामोशी, कुछ करने
के लिए काग़ज़ के टुकड़े का इंतेज़ार क्यों? इदारे के नाम और
ज़िम्मेदारों के नामों के ऐलान का इंतेज़ार क्यों? अरे आप सब
इस का हिस्सा हो, क़ौम को आप की ज़रूरत है, फ़ुर्सत के लम्हात का इंतेज़ार क्यों? वो कभी नहीं
मिलेंगे, जो कुछ करना है इसी मसरूफ़ियत के दौरान करना है।
बेगुनाह मरते रहेंगे और हम कुछ करने के इरादों के साथ बंद कमरों में बैठे रहेंगे,
इतना भी नहीं कि प्राइम मिनिस्टर, होम
मिनिस्टर, चीफ़ मिनिस्टर को ख़त लिखें, भेजें
इन ख़ुतूत की कापी मुझे, मैं बात करूंगा इन सबसे, लिखिए इंटरनेट पर इस तहरीर का हवाला दे कर, राबिता
क़ायम कीजिए अपनों से फ़ोन पर, मिल कर चुप मत बैठिए। और
कितनी लाशें दरकार हैं हमें बेदार होने के लिए, क्या उस वक़्त
अपनी दहलीज़ के बाहर क़दम नहीं रखेंगे जब तक अपने आंगन में ये मंज़र नहीं देखेंगे?
क्या मैं जज़्बात को मुश्तइल कर रहा हूँ, अगर
हाँ तो मत तवज्जो दीजिए मेरी बात पर, क्या मुझे सब्र की
तलक़ीन करना चाहिए? क्या मुझे इन तमाम हालात को देख कर भी
नज़रअंदाज कर देने की अपील करनी चाहिए? नहीं मुझे माफ़ कीजिए
मेरा दिल इतना बड़ा नहीं है, मैं बेगुनाह इंसानों का ख़ून बहते
देख कर चुप नहीं रह सकता। उस वक़्त तक जब कि मुझे हमेशा के लिए ख़ामोश ना कर दिया जाय
या हालात ना बदल जाएं। 7000 से ज़्यादा लोग सिर्फ फेसबुक पर मुझ से जुड़े हैं,
अगर उन की फ़्रैंडज़ लिस्ट भी इसमें शामिल कर ली जाय तो ये तादाद
लाखों में है। जिस वक़्त रोज़नामा राष्ट्रीय सहारा में लिख रहा था 2 6 लाख लोग हर
रोज़ मुझे पढ़ते थे। क्या हो गया सब को, क्यों ख़ामोशी तारी है?
एक ख़ातून की फेसबुक पर आवाज़ मिस्र की हुकूमत का तख़्ता पलट देती है
और हम हैं कि जागते ही नहीं। 21 अक्तूबर संडे के दिन कितने लोग पहुंच सकते हैं,
दिल्ली बात करने। नहीं काम करना तो जितने चाहे सवाल कर लीजिए,
आने से पहले जो चाहे तस्दीक़ कर लीजिए, भरोसा
करने से पहले भरोसा क़ायम हो। तो फिर आईए एक अज़ीम इन्क़लाब का आग़ाज़ करने, फिर कोई सवाल मत कीजिए, बहस मत कीजिए, वक़्त कम है, काम बहुत ज़्यादा समझ लीजिए आप मेरी
आर्मी हैं और मैं आप का कमांडर हूँ, हमें आता है जंग लड़ना भी
और हुकूमत करना भी, हमने जीती जंग अंग्रेज़ों के ख़िलाफ़,
हमने की है हुकूमत हिंदूस्तान पर, मैं आज बेहद
ग़ुस्से में हूँ। अपनी मज़लूम क़ौम पर और ज़ुल्म बर्दाश्त नहीं कर सकता, मेरे सामने मसूरी में मरने वालों, ज़ख़्मी बेगुनाहों
की फ़ेहरिस्त भी है और तस्वीरें भी । सिर्फ उन के नाम, उम्र,
चेहरे ही सामने रख रहा हूँ, इसलिए कि मुकम्मल
जिस्म आप के जज़्बात को मुश्तइल कर सकते हैं..........
डासना मसूरी में शहीद होने वालों की फेहरिस्त
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नाम उम्र वल्दियत
साकिन
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वसीम 20 इकरामुद्दीन , मसूरी
का रहने वाला सिर में गोली लगने से मौत हुई
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आसिफ 17 असलम कुरैशी, ग्राम
नहाल, पेट में गोली लगने से मौत
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अब्दुल वाहिद 19
इस्लामुद्दीन, ग्राम - पिपलेड़ा, सिर में गोली लगने से
मौत
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आमिर खान 14 हश्मत, ग्राम
- पिपलेड़ा, सिर में गोली लगने से मौत
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फुरकान 13 हाफिज़
यूसुफ, ग्राम
- खचरा, गोली लगने से मौत
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हयात 35 इसरार अहमद
ग्राम - लिलियाना , सिर में गोली लगने से मौत
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डासना मसूरी में ज़ख़्मी होने वालों की फेहरिस्त
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फज्र मोहम्मद , 21
नन्हें, ग्राम - नहाल, पेट में गोली
आरपार हो गई है, ज़ख्मी है
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नन्हें 25 मों
इस्लाम, ग्राम
- खचरा, बाज़ू में गोली पार हुई , ज़ख्मी
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शहज़ाद 14 अली हसन, ग्राम
- देहरा, पैर में गोली लगी, ज़ख्मी है
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अब्दुल कादिर 18
अब्बास, ग्राम
- नहाल,
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नोट- ज़ख्मियों की
तादाद ज़्यादा है, पुलिस के खौफ से न सामने आना चाहतें और न
जानकारी देना चाहते हैं, तमाम इत्तेलाआत और फोटोग्राफ इलाके
के लोगों से मौसूल, तलब करने पर रियासती या मर्कज़ी हुकूमत
को दस्तियाब करायी जा सकती हैं।
मज़ीद इत्तेलाआत के
लिए राबिता करें aizzburney1@gmail.com
उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद में भी हुआ है. शुक्रवार को यहां के एक रेलवे स्टेशन पर किसी ने पवित्र कुरान के कुछ पन्ने फटे देखे. उन पन्नों पर गालियां और एक मोबाइल नंबर लिखा था. स्थानीय लोगों ने इसकी शिकायत मसूरी थाने की पुलिस से की लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हो सकी. पुलिस कार्रवाई करती भी कैसे? किसी मुसाफिर ने पवित्र कुरान के कुछ पन्ने फाड़कर स्टेशन पर फेंक दिए तो इसमें स्थानीय पुलिस की क्या खता है? लेकिन इन सवालों का जवाब खोजने के बजाए उत्तेजित भीड़ ने आग लगाना मुनासिब समझा. घंटों तक नेशनल हाइवे 24 जाम रखा गया. करीब 50 वाहनों में आग लगा दी गई और पुलिस और भीड़ के बीच हुए संघर्ष में दो दर्जन से अधिक लोग घायल हुए और 6 लोगों की मौत हो गई.
ReplyDeleteशुक्रवार को उपद्रव की वजह से चपेट में आए मसूरी कस्बे में 6 शव बरामद हुए हैं। मरने वालों में एक बीटेक स्टूडेंट भी शामिल है।
बवाल में 12 पुलिसकर्मी घायल हुए हैं। इनमें दो की हालत गंभीर है। इस बीच, मसूरी थाना क्षेत्र में शनिवार को दूसरे दिन भी कर्फ्यू रहा। इस मामले में लापरवाही बरतने के आरोप में एक थानेदार और दो सिपाहियों समेत तीन पुलिसकर्मियों को निलंबित कर दिया गया है। खुफिया विभाग के एक डीएसपी को भी मामले में निलंबित कर दिया गया है।
मसूरी के डासना कस्बे की रफीकाबाद कॉलोनी और फिर आध्यात्मिक नगर में अफवाह फैलने से क्षेत्रवासियों का गुस्सा भड़क गया था।
पुलिस और प्रशासनिक अधिकारी कस्बे में कैंप कर हालात पर नजर रखे हुए हैं। उपद्रव की वजह से रात भर एनएच-24 पर यातायात बाधित रहा था, जो सुबह पूरी तरह से बहाल हो गया। धार्मिक भावनाएं भड़काने के मामले में मसूरी पुलिस ने एक अज्ञात व्यक्ति के खिलाफ एफआईआर दर्ज की है।
डीआईजी जकी अहमद ने बताया कि इलाके में अब पूरी तरह से शांति है। एहतियातन पीएसी और आरएएफ की दो-दो कंपनी के साथ पर्याप्त संख्या में पुलिस के जवान तैनात किए गए हैं।
मसूरी जा रहे शाही इमाम को यूपी गेट पर रोका :---
मसूरी कस्बे में धार्मिक पुस्तक के पन्ने फेंकने के बाद हुए उपद्रव के विरोध में शनिवार को मसूरी जा रहे शाही इमाम को यूपी गेट पर ही पुलिस ने रोक लिया। उन्हें आवास एवं विकास परिषद के वसुंधरा गेस्ट हाउस लाया गया, जहां पुलिस और प्रशासन ने लंबी बातचीत के बाद उन्हें दिल्ली लौटा दिया। बुखारी ने कस्बे से पीएसी हटाकर आरएएफ तैनात करने और दबिश न देने की मांग की।
डीएम और एसएसपी ने की शांति की अपील :---
अफवाहों से मसूरी का माहौल खराब करने की साजिश दोपहर में हुई थी और इसके बाद उपद्रव की शुरूआत शाम सात बजे। छह घंटे तक खुफिया तंत्र क्या कर रहा था? उपद्रव के दूसरे दिन डीएम अपर्णा उपाध्याय और एसएसपी प्रशांत कुमार ने संयुक्त प्रेस कांफ्रेंस की और माना कि इंटेलीजेंस नेटवर्क विफल साबित हुआ है। इसकी जांच की जा रही है। दोनों अफसरों ने बताया कि शासन के निर्देश पर मसूरी में हुए बवाल की जांच कमिश्नर एमके नारायण ने शुरू कर दी है। सही कारणों का अभी तक पता नहीं चला सका है।
घटना में 12 अफसर और कर्मचारी भी जख्मी हुए हैं। कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए मसूरी क्षेत्र को 8 सेक्टर में विभाजित किया है। हर सेक्टर में एक मजिस्ट्रेट की तैनाती की गई है। जल्द ही हालात पूरी तरह से सामान्य हो जाएंगे। पूरे घटना क्रम की रविवार को फिर से समीक्षा की जाएगी। उन्होंने लोगों से शांति बनाए रखने और अफवाहों पर ध्यान न देने की अपील की है।