लड़की का पीछा क्यों करवाया गया, इसकी कहानी एक मिस्ड काल से शुरू हुई। यह मिस्ड कॉल साहब के पर्सनल नंबर पर आई थी। इसके बाद से ही इस युवती के फोन को 2009 में दो महीने तक अवैध रूप से सर्विलांस पर रखा गया। कांग्रेस अब इस मामले में मोदी को पूरी तरह से घेरने में जुटी है और इस मामले की जांच सुप्रीम कोर्ट के किसी जज से कराने की मांग कर रही है। माना जा रहा है कि जासूसी का यह खेल मोदी के लिए भारी पड़ सकता है, क्योंकि तमाम मानवाधिकार संगठन और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने इस तरह की जासूसी को निजता का उल्लंघन माना है।
गौरतलब है कि पिछले दिनों न्यूज पोर्टल कोबरा पोस्ट और गुलेल ने गुजरात के राज-काज के बारे में एक सनसनीखेज खुलासा करते हुए गुजरात के पूर्व गृहराज्यमंत्री अमित शाह और आईपीएस अफसर जीएल सिंघल की टेलीफोन पर हुई बातचीत की रिकार्डिंग पे्रस के सामने पेश की। वेबसाइट ने इस जासूसी कांड को गैरकानूनी मानते हुए कहा कि गुजरात के पूर्व गृहमंत्री और मोदी के खास अमित शाह ने सिंघला को एक लड़की की 24 घंटे निगरानी का आदेश दिया, ताकि किसी साहब को उसके बारे में पल-पल की जानकारी दी जा सके। अमित शाह से बातचीत की यह रिकार्डिंग खुद सिंघला ने सीबीआई को सौंपी है। कांग्रेस ने इस मामले की गहराई से जांच की मांग की है। वहीं भाजपा ने पूरे मसले पर चुप्पी साध ली है।
आइए, इस जासूसी कांड के कुछ रोचक तथ्यों पर नजर डालें। मिली जानकारी के मुताबिक, 62 दिनों तक चले इस सर्विलांस में गुजरात के आठ बड़े पुलिस अधिकारी शामिल थे। इस पूरी कार्रवाई की कमान आईपीएस अधिकारी जीएल सिंघल के हाथों में थी। सिंघल को उस समय अमित शाह के बेहद करीब थे। हालांकि उसके बाद दोनों के रिश्ते बिगड़ गए। अमित शाह और जीएल सिंघल दोनों राज्य में हुए दो अलग-अलग फर्जी एनकाउंटरों के मामले में आरोपी हैं और फिलहाल बेल पर बाहर हैं। अमित शाह जहां सोहराबुद्दीन एनकाउंटर के आरोपी हैं, वहीं सिंघल पर इशरत जहां एनकाउंटर मामले में आरोप लगाए गए हैं। सिंघल ने शाह से अपनी नजदीकी के बावजूद उनसे हुई बातचीत की कुछ रिकार्डिंग्स भी अपने पास रख ली थी। इस साल जून में सिंघल ने इस बातचीत के 267 रिकार्डिंग्स सीबीआई को सौंप दी।
कोबरा पोस्ट से मिली जानकारी के मुताबिक, 2005 में पहली बार साहब से युवती की मुलाकात हुई। इस युवती ने भूकंप प्रभावित भुज में सरकारी पुनर्निर्माण के प्रयासों के तहत एक हिल गार्डन डिजाइन किया था। दोनों की मुलाकात तत्कालीन जिलाधिकारी प्रदीप शर्मा ने कराई थी। साहेब ने इस युवती को अपना पर्सनल मोबाइल नंबर भी दे रखा था, जिस पर साहेब और युवती की अक्सर बातें होती थीं। एक दिन युवती ने भुज के अपने कलक्टर मित्र प्रदीप शर्मा को साहेब के साथ चल रहे संबंध से संबंधित कॉल्स और मैसेज को दिखला दिया। शर्मा ने उस साहब का नंबर सेव कर लिया। बाद में युवती और साहब के बीच कुछ नजदीकी रिश्तों को लेकर अनबन शुरू हो गई और युवती परेशान रहने लगी। साहब चाहते थे कि भले ही हम दोनों के बीच में संबंध कुछ और हो, लेकिन सार्वजनिक तौर पर यह दिखे कि साहब युवती को बेटी की तरह मानते हैं। युवती की परेशानी जानने के बाद कलक्टर शर्मा ने साहब के सेव नंबर पर काल लगा दी। काल उठाया तो नहीं गया, लेकिन इस मिस्ड कॉल से साहब को संदेह हो गया कि आखिर उनका पर्सनल नंबर किसके पास है। कॉल डीटेल्स में शर्मा का नाम सामने आ गया। इस मिस्ड कॉल के बाद से ही युवती और साहब के संबंधों का समीकरण बदल गया। शर्मा के फोन पर नजर रखी जाने लगी और यह बात सामने आ गई कि शर्मा और यह युवती बराबर संपर्क में रहते थे। सूत्रों के मुताबिक, इसके बाद ही अमित शाह ने इस युवती पर सर्विलांस लगाने का आदेश दिया।
कोबरापोस्ट और गुलेल के मुताबिक, कुछ ही दिनों बाद प्रदीप शर्मा को उनकी हरकत का दंड मिल गया। उनके खिलाफ गुजरात सरकार ने आपराधिक मामलों में चार शिकायतें दर्ज कराई हैं। शर्मा को सस्पेंड कर दिया गया और फिर वह गिरफ्तार भी कर लिए गए। 62 दिनों तक चला सर्विलांस का सिलसिला तब खत्म हुआ, जब इस युवती ने शादी कर गुजरात छोड़ने का फैसला किया। अब राजनीति गरमाने के बाद भाजपा इस पूरे प्रकरण में लीपापोती करने में जुट गई है। भाजपा के दबाव में युवती के पिता ने कहा है कि गुजरात के मुख्यमंत्री से उनके पारिवारिक संबंध हैं और उन्होंने ही मुख्यमंत्री से अपनी बेटी का खयाल रखने का निवेदन किया था। उनकी बेटी बेंगलुरू से अहमदाबाद आई थी और उसे अपनी मां के इलाज के सिलसिले में बाहर निकलना पड़ता था। गुजरात के मुख्यमंत्री और उनकी बेटी का रिश्ता बाप-बेटी की तरह था। भाजपा के राष्ट्रिय अध्यक्ष राजनाथ सिंह ने कोबरापोस्ट और गुलेल के खुलासों को खारिज करते हुए कहा है कि इस पूरे मामले के पीछे कांग्रेस की गंदी राजनीति है, लेकिन कांग्रेस के महिला युवा प्रकोष्ठ ने अमित शाह और इस पूरे मामले की जांच की मांग की है। जयंती नटराजन ने कहा है कि इन खुलासों से वह दुख, आश्चर्य, गुस्सा और शर्म महसूस कर रही हैं।
अब डर है कि इस जासूसी कांड में कहीं उस युवती की जान न चली जाए। अपने फायदे के लिए राजनीति में कुछ भी संभव है। कांग्रेस भी इस मामले को आगे बढ़ाने में रुचि रखेगी और भाजपा किसी तरह से साहब को बचाने में लगेगी। इस पर पर्दा डालने और पर्दा हटाने के खेल में सबसे अहम सवाल है कि कहीं उस युवती की जान खतरे में न पड़ जाए।
राजनीति की बिसात पर मोह्र्रे पिटने के लिये ही होते हैं.
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