कुछ दिनों पहले मैंने ब्लॉग लिखा था
कि दादरी की घटना पर मोदी चुप क्यों हैं? कुछ बोलते क्यों नहीं? ख़ुशी की बात है कि आज
उन्होंने एक अखबार को दिए गए इंटरव्यू में अपनी चुप्पी तोड़ी और कहा कि वह दादरी
की घटना से दुखी हैं। लेकिन साथ में उन्होंने यह भी कहा कि यह राज्य का मामला है
और इसके लिए यदि कोई दोषी है तो वह है राज्य सरकार। उन्होंने यह भी कहा कि लोग
भारतीय जनता पार्टी पर सांप्रदायिकता फैलाने का आरोप लगाते हैं लेकिन सच तो यह है
कि विपक्षी दल ही इस मामले को तूल देकर (हिंदू-मुस्लिम) ध्रूवीकरण को बढ़ावा दे
रहे हैं।
माननीय प्रधानमंत्री का इंटरव्यू
पढ़कर मेरी तो आंखें ही खुल गईं। मैं इतने दिनों तक व्यर्थ ही हिंदुत्ववादी ताकतों
को इस घटना के लिए दोषी मान रहा था। वास्तविक दोषी तो राज्य की समाजवादी सरकार है।
हंड्रेड पर्सेंट दोषी है। ज़रूर उसने ही साज़िश रचकर इख़लाक़ को मरवाया होगा। जो
भीड़ गई इख़लाक़ के घर पर, उसमें अवश्य समाजवादी
पार्टी के गुंडे रहे होंगे। योजना यह रही होगी कि बीफ़ के नाम पर एक मुसलमान की
हत्या कर दो और बीजेपीवालों का नाम लगा दो।
बल्कि डीपली घुस कर देखूं तो मुझे
मामला और बड़ा और संगीन लगता है। मुझे तो
इसमें पाकिस्तान का साफ़-साफ़ हाथ दिख रहा है। क्या ऐसा नहीं हो सकता कि इख़लाक़
आइएसआइ से जुड़ा एक खूंखार आतंकवादी हो और ख़ुद उसने ही अपनी जान ले ली हो? आपमें से कुछ स्यूडोसेक्युलर पाठक कहेंगे, क्या
बकवास है लेकिन मुझे तो यह बिल्कुल पॉसिबल लग रहा है, — कल ही चश्मा भी बदलवाया है सो
तस्वीर एकदम क्लियर दिख रही है। इख़लाक़ निश्चय ही आइएसआइ से जुड़ा था। क्या आपको
पता नहीं, वह दस-पंद्रह साल पहले पाकिस्तान भी गया था। तभी
से सेटिंग हो गई थी।
मेरे हिसाब से आइएसआइ ने जो प्लान
बनाया था, वह इस तरह रहा होगा। उसने इख़लाक़ से कहा होगा,
तुम अपने घर के बाहर कुछ मांस के टुकड़े और हड्डियां बिखरा दो,
फिर अपने घर में ज़ोर-ज़ोर से बोलना कि आज तो गाय का मांस खाकर मज़ा
आ गया। कोई न कोई तो सुनेगा ही और फिर बवाल हो जाएगा। यदि कोई नहीं सुने तो
तुम ख़ुद ही हिंदू इलाकों में जाना और
बोलना कि हां, मैंने गोमांस खाया है, मेरा
क्या कर लोगे? इससे सर्वधर्मसमभाव में विश्वास करनेवाले
हिंदू भड़केंगे और तुम पर हमला कर देंगे। लेकिन यदि इस पर भी हिंदुओं ने कुछ नहीं
किया क्योंकि वे बहुत ही शांतिप्रिय होते हैं और अपने हाथ से एक चींटी भी नहीं
मारते तो तुम ख़ुद ही कहीं से बड़ा-सा पत्थर अपने सिर पर मार देना और वहीं मर
जाना। (बॉलिवुड की फ़िल्मों में आपने देखा होगा कि कैसे कुछ गंदी औरतें ख़ुद ही
अपने कपड़े फाड़ देती हैं और बेचारे हीरो पर दोष लगा देती हैं! ठीक उसी तरह)। इसके
बाद हम अफ़वाह फैला देंगे कि हिंदुओं की एक भीड़ ने एक मुसलमान की जान ले ली और
मीडिया तो इस झूठी ख़बर को लपक ही लेगा।
आप पूछेंगे कि इख़लाक़ ख़ुद अपनी जान
क्यों लेगा? तो भइया, आपने
आत्मघाती दस्ते का नाम नहीं सुना है? स्यूसाइड बॉमर जो अपने
शरीर पर बम फ़िट कर देते हैं और ख़ुद को उड़ा देते हैं। वैसे ही इख़लाक़ स्यूसाइड
स्टोनर था — यानी वह आतंकवादी जो ख़ुद को पत्थर मारकर अपनी हत्या कर देते हैं और
दोष दूसरों पर लगा देते हैं। आपको विश्वास हो न हो, मुझे तो
पूरा विश्वास है कि इस पूरे कांड में आइएसआइ का ही हाथ है। आपको क्या लगता है कि
यह जो 45 लाख अखिलेश सरकार दे रही है, वह
अपनी जेब से दे रही है? वह सब आइएसआइ का पैसा है। सबकुछ पहले
से फ़िट था कि तुम पत्थर पर अपना सर फोड़कर मर जाओ हम तुम्हारी फ़ैमिली को 45 लाख देंगे। और यह 45 लाख तो वह अमाउंट है जो
हम-आपको पता है, हो सकता है इससे ज़्यादा भी मिला हो या
मिलनेवाला हो।
मोदी जी से पहले भाई योगी आदित्यनाथ, बहन साध्वी प्राची, डॉक्टर महेश शर्मा और विधायक
सोमजी संगीत भी यही बात कह रहे थे कि इस घटना के लिए बीजेपी के लोग नहीं, राज्य सरकार दोषी है लेकिन तब मैं समझ नहीं पा रहा था क्योंकि तब तक
दिमाग़ की बत्ती नहीं जली थी। मैं भी आप ही की तरह मीडिया के बहकावे में आ गया था
जो पहले दिन से यह झूठी ख़बर फैला रहा था कि बिसाहड़ा गांव में हिंदुओं ने गोमांस
खाने के आरोप में एक मुसलमान को सरेआम मार डाला। लेकिन आज जब मोदी जी ने वही बात
कही तो मेरे सारे भ्रम दूर हो गए। भई, दूसरे लोग बोलें तो आप
उन पर आंख मूंदकर विश्वास नहीं कर सकते मगर मोदी जी कभी ग़लत बात नहीं बोलते। उनके
पास पक्की ख़बर रहती है। मुझे याद है, जब वह गुजरात के सीएम
थे तो उनको सब पता रहता था कि कौन कब किससे मिल रहा है, किस
होटल में मिल रहा है, क्यों मिल रहा है। सबकी रिकॉर्डिंग
रखते थे। अभी भी हर मंत्री की पल-पल की ख़बर उनको मिलती रहती है। तो जो दोस्तों पर
नज़र रखने में इतना कुशल है, वह दुश्मनों पर नज़र नहीं रखेगा,
ऐसा कभी हो सकता है क्या! मैं तो दावे के साथ कह सकता हूं कि जब
आइएसआइ का बंदा इख़लाक़ से बातें करके सारा प्लान रच रहा होगा, तो वह भी मोदी जी को ज़रूर से ज़रूर पता रहा होगा।
लेकिन एक डाउट होता है कि जब मोदी जी
को सब पता था कि आइएसआइ दादरी में इतनी घिनौनी साज़िश रच रही है ताकि देश का
सांप्रदायिक माहौल बिगड़े और भारत विकास के रास्ते पर चलते हुए रोज़ 41,095 शौचालय बनाने के अपने महती लक्ष्य से पिछड़ जाए तो उन्होंने इसे रोका
क्यों नहीं? क्या वजह हो सकती है? हुं-उं-उं…
हां, अब समझा। उन्होंने इसलिए इसे नहीं रोका ताकि अखिलेश
सरकार का असली चेहरा लोगों के सामने आ जाए। यदि इख़लाक़ और आइएसआइ अपनी योजना में
कामयाब नहीं होते तो आज मेरे जैसे लोगों को यक़ीन कैसे होता कि देश में जहां भी
सांप्रदायिक हिंसा होती है, वह सब मुसलमानों के कारण ही होती
है। वे ख़ुद अपनी जान दे देते हैं, अपने घर जला देते हैं,
अपनी महिलाओं से रेप करते हैं और दोष हिंदुओं पर लगा देते हैं।
गुजरात में यही तो हुआ था। पहले गोधरा में ट्रेन जलाई और फिर अपने घर और दुकानें
जला दीं, खुद ही अपना और अपने बच्चों का गला काट दिया,
अपनी ही औरतों से रेप किया और नाम बेचारे हिंदुओं का लगा दिया। भला हिंदू
कभी किसी की जान लेगा? कभी किसी औरत से बलात्कार करेगा? कभी
नहीं! हिंदू तो हर स्त्री में देवी देखता
है और अहिंसा परमो धर्म में यक़ीन करता है। यह सब मुसलमानों ने हिंदुओं को और मोदी सरकार को ब्लेम करने के लिए किया। और फिर
मुआवज़े की रक़म भी तो अच्छीखासी मिलती है। इख़लाक़ ने भी पैसों के लिए ही पत्थर
पर अपना सर फोड़ दिया।
वीएचपी वाले सही कहते हैं, पैसों के लिए ये @#&* कुछ भी कर सकते हैं।
नीरेंद्र नागर
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