कल हरियाणा में
मेरी मुलाकात राजेश से हुई। उसी हरियाणा में, जहां का मुख्यमंत्री कहता है कि मुसलमान भारत में रहना चाहते हैं तो बीफ
खाना छोड़ना होगा। उसी हरियाणा में, जहां एक साल पहले आई नई
सरकार ने देश का सबसे कड़ा गोरक्षा कानून लागू किया है। इस कानून के लागू होने के
बाद हरियाणा में कुछ बेहद खतरनाक घट रहा है। हर शहर-कस्बे में गोरक्षा दल बन गए
हैं। राजेश ऐसे ही एक दल का हिस्सा है। बहुत कम पढ़ा-लिखा राजेश बेरोजगार है। खेती
के नाम पर उसके पास बहुत थोड़ी सी जमीन है जिसमें सालभर जीतोड़ मेहनत के बाद उसके
परिवार का खर्च निकल पाए तो राजेश खुद को भाग्यशाली मानता है।
लेकिन उसे आजकल
एक अनोखा काम मिल गया है। गोरक्षा का काम। एक गोरक्षक ने उसे अपने दल में शामिल कर
लिया है। वह रात को किसी वक्त फोन करके बुलाता है। 15-20 लड़के पहुंचते हैं। वे
किसी जगह नाका लगाकर खड़े हो जाते हैं। आते-जाते वाहनों की तलाशी लेते हैं। किसी
वाहन में गाय या बैल मिल जाएं तो ड्राइवर और बाकी सवारियों की जमकर धुनाई करते
हैं। वैसे, उनकी पिटाई से अभी तक कोई मरा
नहीं है।
राजेश बताता है
कि बलिंदर नाम के उनके प्रमुख गोरक्षक ने वादा किया है कि कुछ दिन काम कर लेने के
बाद पैसे भी मिलने लगेंगे। पेट्रोल और बाकी खर्च भी मिलेगा। जो लड़के एक साल से
काम कर रहे हैं, उन्हें पैसे मिलते हैं। पास के
गांव का गोरक्षा दल तो और बड़ा है। उसमें 40-50 लोग हैं। ऐसे दल कई गांवों में बने
हुए हैं। ऐसे गांव हर जिले में हैं।
इन बेरोजगार, कम पढ़े-लिखे लड़कों को कौन संगठित कर रहा है? इसके
लिए पैसा कहां से आ रहा है? क्या इन लड़कों का काम सिर्फ गाय
बचाना होगा? कहीं यह भविष्य की तैयारी तो नहीं राजेश बताता
है कि एक लोकल नेता है जो पैसे देता है। किस पार्टी का है यह बताने की जरूरत है
क्या? हर जगह ऐसे नेता मौजूद हैं।
पर एक और बड़ा
सवाल है। ये जो गाय-बैल वाहनों में मिलते हैं, ये आते कहां से हैं? राजेश बताता है कि बीते कुछ
सालों में लोकल लोगों ने, जो हिंदू हैं, बैल पालने शुरू किए हैं। पहले बैलों का इस्तेमाल हल चलाने में होता था। अब
ट्रैक्टरों के आने के बाद हल खत्म हो गए हैं। बीच में कुछ समय के लिए बैलों की
जरूरत और कीमत दोनों खत्म हो गई थीं। इसलिए कोई गाय बछड़ा दे दे तो किसान खुश नहीं
होता था, अक्सर उस बछड़े को सड़क पर छोड़ दिया जाता था
क्योंकि उसे चारा खिलाने का कोई ‘फायदा’ नहीं था। पर अब चलन बदला है। किसान बछड़ा
पैदा होने पर खुश होते हैं। उन्हें पालते-पोसते हैं, बड़ा
करते हैं और खूब मांसल बनाते हैं। फिर उन्हें बूचड़खानों को बेच देते हैं। जवान,
मांसल बैल अच्छी कीमत देकर जाता है।
हां, पिछले एक साल में, जब से हरियाणा सरकार ने नया कानून
लागू किया है, सड़क पर छोड़े जाने वाले बैलों की संख्या काफी
तेजी से बढ़ी है। राजेश एक लाइन में सारी बात कह देता हैः वे गाय बेचते हैं,
हम गाय बचाते हैं... सब पैसा है।
-विवेक आसरी
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