अक्सर जब कोई विचार आम धारणाओं एंव परम्पराओं से
मेल नहीं खाता, तो अधिकतर लोग उसका विरोध करते हैं। लेकिन जब उसकी
वास्तविकता और सत्यता सामने आती है। तो वहीं लोग उस पर अफसोस करते हैं। जैसे कि प्रसिद्ध
विद्वान सुकरात ने कहा था कि पृथ्वी गोल है। लेकिन उस समय के लोगों ने उसकी बात को
नहीं माना और उसकों मौत की सजा दी। जबकि आज सभी मानते हैं कि पृथ्वीगोल है। यही बात
आज मुसलमानों के पिछड़ेपन के बारे में की जा रही है। लेकिन खुद मुस्लिम इस बात को मानने
से गुरैज कर रहे हैं। जबकि वास्तविकता से सभी परिचित हैं। फिर भी यदि वो धोखे ही में
जीना चाहते हैं तो भला दूसरा उसको कैसे समझा सकता है।
आपने पढ़ा , सुना और देखा होगा कि अक्सर हमारे हिन्दू भाई सुबह-सुबह अपनी ईश्वर अराधना के बाद सूर्य की तरह मुंह करके सूर्य को पानी देते है। उनकी आस्था है कि ऐसा करने से सूर्य देवता उनसे खुश रहेंगे। लेकिन इसी आस्था पर गुरु नानक देव जी ने कटाक्ष करते हुए। विपरीत दिशा में पानी देना शूरु कर दिया। ऐसे करने पर जब लोगों ने उनसे पुछा कि आप यह क्या कर रहे हो तो उन्होंने बड़ी सादगी से उतर दिया कि में अपने खेतों में पानी दे रहा हूं। ऐसा सुनने पर लोगों ने कहा कि ऐसे कैसे हो सकता है कि आप पानी यहां दें और पानी खेतों में पहुंच जाए। तो गुरु नानक देव जी ने कहा कि यदि ऐसा करने से मेरे खेतों में पानी पहुंचता तो फिर तुम्हारे द्वारा सूर्य को दिए जाने वाला पानी सूर्य पर कैसे पहुंच सकता है।
इस वृतांत से मेरा अभिप्राय मात्र इतना है कि मेरे मुस्लिम भाइयों आसमान से नीचे उतर कर जीमन की हकीकत को पहचाने की कौशिश करे और अपने आपको देश और समाज की मुख्यधारा में जुड़ने के लिए जो भी सम्भव हो । अपनी विचाधारा, परम्परा और अवधारणों में अमुल-असुल बदलाव करके अपनी जिन्दगी को दूनियां और आख्ररत के काबिल बनाने का प्रयास करें। अन्यथा आपने वाली स्थिति इस कहावत के मानिंद हो जाएगी कि “ धोबी का कुता न घर का न घाट का” और नहीं तो सारी जिन्दगी दूसरों के तलवे चाटने में ही गुजर जाऐगी।
आपने पढ़ा , सुना और देखा होगा कि अक्सर हमारे हिन्दू भाई सुबह-सुबह अपनी ईश्वर अराधना के बाद सूर्य की तरह मुंह करके सूर्य को पानी देते है। उनकी आस्था है कि ऐसा करने से सूर्य देवता उनसे खुश रहेंगे। लेकिन इसी आस्था पर गुरु नानक देव जी ने कटाक्ष करते हुए। विपरीत दिशा में पानी देना शूरु कर दिया। ऐसे करने पर जब लोगों ने उनसे पुछा कि आप यह क्या कर रहे हो तो उन्होंने बड़ी सादगी से उतर दिया कि में अपने खेतों में पानी दे रहा हूं। ऐसा सुनने पर लोगों ने कहा कि ऐसे कैसे हो सकता है कि आप पानी यहां दें और पानी खेतों में पहुंच जाए। तो गुरु नानक देव जी ने कहा कि यदि ऐसा करने से मेरे खेतों में पानी पहुंचता तो फिर तुम्हारे द्वारा सूर्य को दिए जाने वाला पानी सूर्य पर कैसे पहुंच सकता है।
इस वृतांत से मेरा अभिप्राय मात्र इतना है कि मेरे मुस्लिम भाइयों आसमान से नीचे उतर कर जीमन की हकीकत को पहचाने की कौशिश करे और अपने आपको देश और समाज की मुख्यधारा में जुड़ने के लिए जो भी सम्भव हो । अपनी विचाधारा, परम्परा और अवधारणों में अमुल-असुल बदलाव करके अपनी जिन्दगी को दूनियां और आख्ररत के काबिल बनाने का प्रयास करें। अन्यथा आपने वाली स्थिति इस कहावत के मानिंद हो जाएगी कि “ धोबी का कुता न घर का न घाट का” और नहीं तो सारी जिन्दगी दूसरों के तलवे चाटने में ही गुजर जाऐगी।
मो. रफीक चौहान
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